अनुनाद

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रीता पेत्रो की कविताएँ – अनुवाद एवं प्रस्तुति यादवेन्द्र

१९६२ में अल्बानिया की राजधानी तिराना में जनमी रीता पेत्रो स्टालिन कालीन साम्यवादी पाबंदियों से मुक्त हुए अल्बानिया की नयी पीढ़ी की एक सशक्त कवियित्री

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हमीं हम हमीं हम -मनमोहन

हमीं हम हमीं हम रहेंगे जहाँ में हमीं हम हमीं हम ज़मीं आसमाँ में हमीं हम हमीं हम नफीरी ये बाजे नगाड़े ये तासे कि

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एक छूटा हुआ मकान – विजय कुमार

अग्रज कवि विजय कुमार का नाम समकालीन कविता और कवितालोचना में एक विशिष्ट, महत्वपूर्ण और ज़रूरी नाम है। विजय कुमार जी ने अपने सतत् अनुवादकर्म

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