अनुनाद

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नरेश सक्सेना की कविता : कत्लगाहों की तरफ़ फुसलाते शब्द -आशीष मिश्र

ठंड से नहीं मरते शब्द  वे मर जाते हैं साहस की कमी से  केदारनाथ सिंह के इन शब्दों को आलोचना के सन्दर्भ में देखना रोचक

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यह नोट तो तुम्हें वोट के बदले मिला है – पंकज चतुर्वेदी की नई कविताएं

प्रतिरोध और बहस की सुन्दरता पंकज चतुर्वेदी के सौम्य और सादे लहजे में जिस तरह निखरती है, उसे जानना, समकालीन कविता में कला के संघर्ष

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चर्चित समकालीन मैसिडोनियन कवि निकोला मेदजीरोव की कविताएं ( पेगी, ग्राहम डब्ल्यू रीड, मेगडेल्ना होर्वट तथा एडम रीड के अंग्रेजी अनुवाद से) : हिदी अनुवाद -दुष्यंत

कवि की औपचारिक अनुमति से हिंदी में पहली बार अनूदित ये कविताएं प्रिंट में जनसत्ता में आई थीं, (वैसे ये अनुवाद मूलत : kritya international poetry

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हॉली मैक्निश : स्तनपान पर शर्मिंदा : भावानुवाद एवं प्रस्तुति – यादवेन्द्र

  स्तनपान के बारे में वैज्ञानिक शोध चाहे कितनी सकारात्मक बातें कहें पूरी दुनिया में युवा शहरी और कामकाजी स्त्रियों में इसको लेकर नकार का भाव बढ़ता

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हिंदी दिवस विशेष : हिंदी-उर्दू कविता के गढ़वाली रूपान्तरण : नेत्र सिंह असवाल

सोशल मीडिया पर रहने दौरान अचानक मेरा ध्यान नेत्र सिंह असवाल जी की टाइमलाइन पर गया। वहां हिंदी और उर्दू कवियों की कविता के गढ़वाली

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प्रशान्त विप्लवी की बारह कविताएं

प्रशान्त की कविताएं समकालीन युवा कविता संसार में केन्द्रों के बरअक्स सीमान्तों की हूक की तरह हैं। उन्हें पढ़ना दूर-दराज़ के इलाक़ों को पढ़ने जैसा

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विपिन चौधरी की कविताएं

समकालीन कविता-संसार में विपिन चौधरी का हस्तक्षेप बख़ूबी पहचाना गया है। अनुनाद पर विपिन की उपस्थिति के ये लिंक पाठकों के लिए –  1.आत्मकथ्य और

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