बिक्रम के ये पद मृत्युंजय के मुख से प्रकट हुए हैं। मृत्युंजय वामदिशा वाले सक्रिय साहित्यकर्मी हैं। कविताएं लिखते हैं, आलोचक हैं और जनवादी कविता में छन्द की विलुप्त होती धारा के एकमात्र नौजवान प्रतिनिधि भी। कटक में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। आजकल उड़िया से रिश्ता जोड़ रहे हैं….जल्द ही हम
उड़िया कविता से उनके किए हुए अनुवाद अनुनाद पर प्रस्तुत कर पाएंगे।
उड़िया कविता से उनके किए हुए अनुवाद अनुनाद पर प्रस्तुत कर पाएंगे।
मृत़्यंजय- कटक |
बोली-बानी के ये पद आधुनिक भारतीय समाज और राजनीति के विद्रूपों और विदूषकों के बीच सूचना प्रौद्योगिकी-मीडिया की भूमिका को एक बड़े दायरे में समेटते हुए हमें हमारे जाने-पहचाने दृश्यों-अदृश्यों में ले जाकर वहां पहुंचा देते हैं, जहां आज भी महिला, दलित, आदिवासी, मुस्लिम, किसान और मजदूर जैसे हमारे जन अरक्षित-निहत्थे खड़े हैं। कविता के इस स्वरूप का अनुनाद स्वागत करता है।
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1
बिक्रम,
मरघट बनिगा देश !
बिक्रम,
मरघट बनिगा देश !
पंडित,
जोगी, शायर, आलिम बांटत नितहिं कलेस
जोगी, शायर, आलिम बांटत नितहिं कलेस
मुरदा
ऊपर मुरदा बैठा, लहू लत्त्फथ केस
ऊपर मुरदा बैठा, लहू लत्त्फथ केस
राजघाट,
जनपथ, संसदिया बड़े–बड़े व्योपारी
जनपथ, संसदिया बड़े–बड़े व्योपारी
जमुना-गंगा
भात दाल संग मानुस की तरकारी
भात दाल संग मानुस की तरकारी
शमसाने
बिच ठीहा नितहीं चाम उतारन जारी
बिच ठीहा नितहीं चाम उतारन जारी
फिर
हारी हौव्वा की बिटिया, फिर हारी फिर हारी
हारी हौव्वा की बिटिया, फिर हारी फिर हारी
मन
पाथर तन पाथर, कविता से ना लगिहैं ठेस
पाथर तन पाथर, कविता से ना लगिहैं ठेस
कंकरीट
की सड़क-आदमी, पार उतरिहैं देस
की सड़क-आदमी, पार उतरिहैं देस
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बिक्रम,
डेटा फलम् रसीला
डेटा फलम् रसीला
स्मृति
औ इतिहास हीन पृथ्वी को कर चपटीला
औ इतिहास हीन पृथ्वी को कर चपटीला
सब
तथ्यों से सत्य चूस ले छुपा शक्ति की ओट
तथ्यों से सत्य चूस ले छुपा शक्ति की ओट
जन-गण-मन
की खाल खींच, भर भूस, बना रोबोट
की खाल खींच, भर भूस, बना रोबोट
डेटा
बारिश मांझ मुदितमन मोबाइल का प्लान
बारिश मांझ मुदितमन मोबाइल का प्लान
जंह
विकास, तंह दंगा, हत्या, लूट-खसोट प्रमान
विकास, तंह दंगा, हत्या, लूट-खसोट प्रमान
डेटा
हत्या, बलात्कार, डेटा दंगा, संवेदन
हत्या, बलात्कार, डेटा दंगा, संवेदन
क्षिति
जल पावक गगन हवा, सबका कर डेटा भेदन
जल पावक गगन हवा, सबका कर डेटा भेदन
जन
मन के लहरिल दुःख सागर में डेटा की नाव
मन के लहरिल दुःख सागर में डेटा की नाव
बढ़े
कूटती ताल वक्ष पर, अपरम्पार प्रभाव
कूटती ताल वक्ष पर, अपरम्पार प्रभाव
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3
बिक्रम,
धारे रहियो लाश!
धारे रहियो लाश!
तुम
राजा, तुमको लाशन से बड़ी-बड़ी अभिलाष
राजा, तुमको लाशन से बड़ी-बड़ी अभिलाष
काश्मीर
है नार्थ-ईस्ट है छत्तीसगढ़ अलबेला
है नार्थ-ईस्ट है छत्तीसगढ़ अलबेला
बिना
लाश का राजा कैसा, बिन मसान की रानी
लाश का राजा कैसा, बिन मसान की रानी
बिन
हत्या का लोकतंत्र क्या, बिना लहू जस पानी
हत्या का लोकतंत्र क्या, बिना लहू जस पानी
टीवी
चैनल इंटरनेट से मूंडी काटो खच्च
चैनल इंटरनेट से मूंडी काटो खच्च
लोगां
हंसे दरद नहिं होता कैसी सुन्दर सच्च
हंसे दरद नहिं होता कैसी सुन्दर सच्च
इनहीं
के चमड़ा से बिक्रम, तम्बू यक बनवावो
के चमड़ा से बिक्रम, तम्बू यक बनवावो
देसे
भीतर सब सेजन के ऊपर में तनवावो
भीतर सब सेजन के ऊपर में तनवावो
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4
बिक्रम,
पश्चिम दिशा महान
पश्चिम दिशा महान
वहीं
पावेगो शक्ति अपरिमित, सत्ता-संयुत ज्ञान
पावेगो शक्ति अपरिमित, सत्ता-संयुत ज्ञान
जो
सत्ता हित शुभ-ताकतवर, देंगें अफलातून
सत्ता हित शुभ-ताकतवर, देंगें अफलातून
तोप,
मिसाइल, परमानू बम, न्याय, अनाज, कनून
मिसाइल, परमानू बम, न्याय, अनाज, कनून
देवि
लिबर्टी, रक्त-चषक कर, भरो दोनोहीं जून
लिबर्टी, रक्त-चषक कर, भरो दोनोहीं जून
इतना
फाजिल जनता रक्कत, बढ़ता ज्यों नाखून
फाजिल जनता रक्कत, बढ़ता ज्यों नाखून
राष्ट्र
चलावें वही, धरो तुम नित्य दलाली भेष
चलावें वही, धरो तुम नित्य दलाली भेष
उनके
मर्जी देशे भीतर रच दो उप्पनिवेश
मर्जी देशे भीतर रच दो उप्पनिवेश
जबरजंग
मालिक तुम्हार तुम स्वामिभक्त रखवार
मालिक तुम्हार तुम स्वामिभक्त रखवार
वंह
खाओ, यंह आ गुर्राओ, सजा रहे दरबार
खाओ, यंह आ गुर्राओ, सजा रहे दरबार
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5
बिक्रम,
बैतालन कै टोली !
बैतालन कै टोली !
हमी
चलावेंगे तुम्हरी सत्ता की खातिर गोली
चलावेंगे तुम्हरी सत्ता की खातिर गोली
बरमेसुर
को गांधी कह दें, गांधी को हत्यारा
को गांधी कह दें, गांधी को हत्यारा
नरमेधों
के यज्ञ-कुंड में हम छोपेंगे गारा
के यज्ञ-कुंड में हम छोपेंगे गारा
हमहीं
तुमको नियम सुझाएं, यू ए पी ए, पोटा
तुमको नियम सुझाएं, यू ए पी ए, पोटा
नन्हें-नन्हें
मानुष छौने, गला हमीं ने घोटा
मानुष छौने, गला हमीं ने घोटा
दो-दो
दिल, दो-दो दिमाग, दो पेट और दो गले
दिल, दो-दो दिमाग, दो पेट और दो गले
हत्या-पश्चाताप
अनवरत साथ-साथ यूं चले
अनवरत साथ-साथ यूं चले
शास्त्र
हमारा, शस्त्र तुम्हारा, हम कंघी, तुम केश
हमारा, शस्त्र तुम्हारा, हम कंघी, तुम केश
राष्ट्रद्रोह
के दावानल में, पलटो भूनो देश
के दावानल में, पलटो भूनो देश
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6
बिक्रम,
छोटे-छोटे युद्ध !
छोटे-छोटे युद्ध !
डरो,
एकजुट हुए अगर तो मस्तक होगा रुद्ध
एकजुट हुए अगर तो मस्तक होगा रुद्ध
छोटे-छोटे
खांडे तुम्हरी बड़ भीषण रजधानी
खांडे तुम्हरी बड़ भीषण रजधानी
में
घुस काटम् पीट करैंगे, जनता है दीवानी
घुस काटम् पीट करैंगे, जनता है दीवानी
इसे
अलग-अलगावो, डिब्बा-बंद करो हे राजा
अलग-अलगावो, डिब्बा-बंद करो हे राजा
जल-थल-जंगल-हवा
छीन कर मृत्यु उदर भरता जा
छीन कर मृत्यु उदर भरता जा
आँखों
की तकलीफत नदियाँ, बड़वानल की भूमि
की तकलीफत नदियाँ, बड़वानल की भूमि
मिलना
चाहे रुंधती छतियां, लहर-बहर कर चूमि
चाहे रुंधती छतियां, लहर-बहर कर चूमि
महिला,
दलित, आदिवासी, मुस्लिम, किसान, मजदूर
दलित, आदिवासी, मुस्लिम, किसान, मजदूर
क्रम-क्रम
से वध होय, अकंटक राज भोग भरपूर
से वध होय, अकंटक राज भोग भरपूर
***
nason me lahoo ka daura tez ho gaya,arse baad laga ki maiN waake'ee jindaa hun.mujhame ab bhee haraarat baaqee hai aur kuch bhee aisa jaise sitaar ke taar ko chhoone se aawaz aati hai vaise hee kuch mujhe choo jaye to mujhme bhee haraarat baaqee hai,yeh ehsaas delaane ka shukragujaar hun.jiyo mere yaar-mere jigar, jiyo aag ki see tarah.
विक्रम वैताल की कथा को उलटते – पलटते हुए समय को आइना दिखाया है इन पदों ने .अनेक पंक्तियाँ स्मरणीय हैं –
जैसे -शास्त्र हमारा शस्त्र तुम्हारा हम कंघी तुम केश
राष्ट्रद्रोह के दावानल में पलटो भूनो देस .
सब से बड़ी बात यह है कि कवि को लय सिद्ध हो गयी है , मात्राएँ कहीं भी छिटकती नहीं है . यह गुण बड़े कवियों में भी आसानी से नहीं मिलता . यह कोशिश जारी रहनी चाहिए .
बहुत सुंदर। तीखा और बेधनेवाला… दोस्त मृत्युंजय को बधाई…
बिक्रम छोटे-छोटे युद्ध! वाह! मृत्युंजय की कविताई ने कायल बना दिया.
तुरत मन रम जाए, ऐसी सुंदर रचनाएं. छंद भी एकदम सधा हुआ, और बिक्रम के बहाने, ठेठ आज के यथार्थ पर अर्थपूर्ण टिप्पणियां, जिनमें बहुत कुछ आजाता है कवि की गिरफ़्त में. बधाई.
ye kavita Mrityunjay ka kamaal hai jo batati hai kavita me saundarya ki shastriyata aur apne samay ke sabse jwalant sawalon donon ko kaise apnre bhitar ki aag se sadha jaata hai
-vimal c pandey
ज़ोरदार है भाई !
आज सीमा आजाद और विश्वविजय पर आये फैसले के बाद इन कविताओं को पढ़कर मन आंदोलित हो रहा है. मृत्युंजय की ये तंज भरी कवितायें अपने पूरे स्वरूप में एकदम आधुनिक कवितायें हैं. छंद की ताक़त का वह जिस तरह उपयोग करते हैं, वह एक प्रतिबद्ध कवि के लिए ही संभव है.
bhai baat to jami hai…betal apani peeth par lagne laga…bahut badhiya..
mritunjay ke yh pd bechaini aur hstakchep k liye zaroori vicharon se lais hain. bahut sari shubh kamnayen. hindi kavita aur hamein unse bahut sari ummedin hain.
badhia hai sabhi padh aur anokhe bhee
mritunjay aur shirish jee ka shukariya