अनुनाद

कविता

राजेश जोशी, महेश पुनेठा और प्रदीप सैनी की कविताओं का अनुवाद / हर्ष काफर

गुरूत्‍वाकर्षण न्यूटन जेब में रख लो अपना गुरूत्वाकर्षण का नियमधरती का गुरूत्वाकर्षण ख़त्म हो रहा है । अब तो इस गोल-मटोल

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ये सच है कि अपना कागज़ और अपनी रौशनाई खुद गढ़नी होती है सबको – सपना भट्ट

यहीं तो था  यहीं तो था अज्ञात कूट संकेतों के  अप्रचलित उच्चारणों में गूँजता  तुम्हारी मौलिक हँसी का मन्द्र अनुनाद यहीं

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