अनुनाद

कविता

असल के पीछे का असल अकसर ख़ामोश खड़ा रह जाता है – अर्चना गौतम ‘मीरा’ की कविताऍं

प्रेम – 1 अत्यंत बलवती थी उसकी इच्छा जीवन वरण की डस गया तभी  प्रेम पिघला वाहिनियों में पीड़ा का स्वेद

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कुछ लिखने की ख़ातिर लिख लेना यूँ कब कविता कहलाता है – विपिन ध्‍यानी की कविताऍं

पहाड़ी औरतें आँखें छलकी ही रहती हैं उबाल पर रहता है कलेजा उनका पहाड़ी औरतें एक बड़े दरख़्त की मानिंद झुकी

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