
भैया मत पूछो अब आगे की कहानी /हरे प्रकाश उपाध्याय
कहे पत्रकार भोले शहर के सेठ का निकलता है अख़बार उसका नाम कितना प्यारा – जनता का समाचार सेठ
कहे पत्रकार भोले शहर के सेठ का निकलता है अख़बार उसका नाम कितना प्यारा – जनता का समाचार सेठ
मॉं की स्मृति में (1)दुख की लंबी उड़ान के बादकहाँ लौटती है आत्माएँकहाँ रीत जाता हैइच्छा के
इतने पर भी मेरी एक आँखसपने देख रही
लेसू रोटियां उनदिनों जब इजाके पास मडुवा था औरमेरे पास थी एक जि़द कि गेहूँकी ही रोटी खानी है तबपदार्पण
बिना व्याकरण के बोली जाने वाली भाषा हो तुम तुम इतनी दूर रहीं कि कुछ भी कहा नहीं जा सकता
मन के नील हमारे यहां जब शरीर पर नील पड़ जाता है तो कहते हैं डायन खून चूस लेती है
1 मैंने जब भी उसकी बात की आँखें भर कर की गालों में लाल कोंपलें फूटने तक आवाज़
ठूंठ पिता के जाने के बाद उनकी अनुपस्थिति का अहसास सबसे अधिक कही नुमाया हुआ तो वो मां का सूना
गॉंव की औरतें दौर भले हो ग्लोबल विलेज का पर अब भी भोली हैं गांव की औरतें
अगर अगर भोजन करते हुए तुम्हें इस बात की शर्म आए कि दुनिया में करोड़ों लोग भूखे हैं तो समझ