अनुनाद

आलोचना / समीक्षा

कोणार्क : कला का औदात्य और शिल्पी का समर्पण – अंबुज कुमार पाण्डेय

कुबेरनाथ राय और धर्मवीर भारती ने समर्पित कलासाधक को ‘संपाती’ के तुल्य बताया है। सौंदर्य का ऐसा उपासक जो सच्ची कला

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ज़िला जौनपुर, सिटी बनारस: सिराज-ए-दिल जौनपुर/मूल अंग्रेजी आलेख  संजीव चोपड़ा/ अनुवाद      – शंखधर दुबे

मैं सिराज-ए-दिल जौनपुर (SEDJ) की इस समीक्षा की शुरुआत दो स्वीकारोक्तियों के साथ कर रहा हूँ। पहली यह कि मैंने इसे

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