अनुनाद

आलोचना / समीक्षा

काव्य-कथा : बोरहेस और हिमालयाः टुनाईट आयम नॉट ए मंक / गिरिराज किराड़ू

(पिछले दिनों मैंने देखा ऑल जस्टीफाईड छपी हुई, ‘गद्य’ ‘दिखती’ हुई कवितायें वेब पर प्रकाशित होने पर कुछ लोगों को लगा

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उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच एक छोटा-सा “या” (शैलेय का कविकर्म) – शिरीष कुमार मौर्य

(यह समीक्षानुमा छोटा लेख अनुनाद पर लगाए जाने से पहले एक-दो पत्रिकाओं में छप चुका है) शैलेय के कविता संकलन पर

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