बनारस पर कविताएं / केशव शरण की कविताएं
आरती के पश्चात घाट पर हमारे बैठे-बैठे गंगा से डाल्फिनें ग़ायब हो गईं गुम हो गई उस पार की हरियाली
आरती के पश्चात घाट पर हमारे बैठे-बैठे गंगा से डाल्फिनें ग़ायब हो गईं गुम हो गई उस पार की हरियाली
पिता वे सिर्फ एक छत ही नहीं,पेपरवेट भी थे.जैसे ही हटे,हमकागज के पन्नों-सेबिखरते चले गए.*** यथार्थ जब मैं स्वयं कोसम्पूर्ण
नदियां और बेटियां (19 वर्षीय हिमानी, एक सुदूर पहाड़ी ग्रामीण इलाके से आयी लड़की, जो स्नातक के लिए महिला महाविद्यालय हल्द्वानी
फिलीस्तीनी मूल के माता पिता की संतान लोहाब आसेफ अल जुंदी का जन्म सीरिया में हुआ। अमेरिका में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद वहीं
जमैका से आकर अमेरिका में बस जाने वाली 52 वर्षीय अश्वेत ऐक्टिविस्ट कवि क्लॉडिया रैंकिन की पिछले साल पाँचवी किताब आई है “सिटीजन : ऐन अमेरिकन लीरिक” जिसे न सिर्फ़
धानरोपनी दिल नहीं लगा आज उसका धानरोपनी के गीतों में बबुआ की देह तप रही थी आते समय ज्वर
धूप में धूप दूर दृष्टि के दूसरे छोर तक पसरी है, आग का एक समुद्र उग आया
जीना ही है प्रेम उसने थामा मेरा हाथकहा नहीं ऐसे नहींऐसे होती है कविताहाँ वह सही थाकविता के बारे मेंजबकि मैं
हिन्दी कविता में ईरान की स्त्री कवियों के स्वर सुनाई दे रहे हैं। अनुनाद पर पहले यादवेन्द्र ने कुछ महत्वपूर्ण अनुवाद