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हिन्दी साहित्य और न्यू मीडिया/ श्रीविलास सिंह से मेधा नैलवाल का साक्षात्कार
मेधा : हिंदी साहित्य और न्यू मीडिया के संबंध को आप किस तरह देखते हैं ? श्रीविलास सिंह : किसी भी साहित्य को पाठकों तक पहुँचने हेतु किसी
आशियाना/ पूजा गुप्ता
आनन-फानन में रामेश्वरी ने अपना सामान बांध लिया और चलने को तैयार भी हो गई। गुस्से की इन्तहा इतनी थी कि मुंह से ना एक
सदा से ही तमाम जीवनों के लिए अपना जीवन जीती रही है इजा/ गिरीश अधिकारी की कविताऍं
लेसू रोटियां उनदिनों जब इजाके पास मडुवा था औरमेरे पास थी एक जि़द कि गेहूँकी ही रोटी खानी है तबपदार्पण हुआ इन पहाड़ों में
समय की विकृतियों का दस्तावेज़/ श्री कृष्ण नीरज
बहुत ही कम समय में अपनी पहचान बनाने वाले कवि जावेद आलम खान अक्सर अपनी कविताओं में समय से सवाल करते हैं। यह विविध विद्रूपताओं
हिन्दी ग़ज़ल में अंग्रेजी के तत्व/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफ़री
हिंदी भारत ही नहीं विश्व की एक महत्वपूर्ण संवाद की भाषा है.एक भाषा के साथ यह हमारी अस्मिता और सांस्कृतिक मूल्यों की निशानी
मन इच्छाओं का ज़ख़ीरा है देह उसके लालसाओं के बोझ से दबा मासूम/सुमन शेखर की कविताएं
बिना व्याकरण के बोली जाने वाली भाषा हो तुम तुम इतनी दूर रहीं कि कुछ भी कहा नहीं जा सकता तुम रहीं इतने पास
आकंठ प्रेम में डूब कर तुम्हें ऐसा ही पाती हूं/तुलसी छेत्री की कविताएं
मन के नील हमारे यहां जब शरीर पर नील पड़ जाता है तो कहते हैं डायन खून चूस लेती है हल्का सा छू जाने
मेरी प्रार्थनाओं की वजह से वह बना रहा ईश्वर/रीना शाही की कविताएं
1 मैंने जब भी उसकी बात की आँखें भर कर की गालों में लाल कोंपलें फूटने तक आवाज़ के काँपने तक गर्म
मिट्टी से रोटी नहीं न बनती खाली चूल्हा बनता है/ इरा श्रीवास्तव की कविताएं
ठूंठ पिता के जाने के बाद उनकी अनुपस्थिति का अहसास सबसे अधिक कही नुमाया हुआ तो वो मां का सूना माथा था बैठक