अनुनाद

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हिन्‍दी साहित्‍य और न्‍यू मीडिया/ श्रीविलास सिंह से मेधा नैलवाल का साक्षात्‍कार

मेधा : हिंदी साहित्य और न्यू मीडिया के संबंध को आप किस तरह देखते  हैं ? श्रीविलास सिं‍ह : किसी भी साहित्य को पाठकों तक पहुँचने हेतु किसी

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आशियाना/ पूजा गुप्‍ता

आनन-फानन में रामेश्वरी ने अपना सामान बांध लिया और चलने को तैयार भी हो गई। गुस्से की इन्तहा इतनी थी कि मुंह से ना एक

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सदा से ही तमाम जीवनों के लिए अपना जीवन जीती रही है इजा/   गिरीश अधिकारी  की कविताऍं   

     लेसू रोटियां      उनदिनों जब  इजाके पास मडुवा था  औरमेरे पास थी एक जि़द कि गेहूँकी ही रोटी खानी है  तबपदार्पण हुआ इन पहाड़ों में 

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हिन्‍दी ग़ज़ल में अंग्रेजी के तत्‍व/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफ़री

    हिंदी भारत ही नहीं विश्व की एक महत्वपूर्ण संवाद की भाषा है.एक भाषा के साथ यह हमारी अस्मिता और सांस्कृतिक मूल्यों की निशानी

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मन इच्छाओं का ज़ख़ीरा है देह उसके लालसाओं के बोझ से दबा मासूम/सुमन शेखर की कविताएं

   बिना व्‍याकरण के बोली जाने वाली भाषा हो तुम      तुम इतनी दूर रहीं कि कुछ भी कहा नहीं जा सकता तुम रहीं इतने पास

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मिट्टी से रोटी नहीं न बनती  खाली चूल्हा बनता है/  इरा श्रीवास्‍तव की कविताएं

   ठूंठ      पिता के जाने के बाद उनकी अनुपस्थिति का अहसास सबसे अधिक कही नुमाया हुआ तो वो मां का सूना माथा था    बैठक

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