अनुनाद

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कविता

प्रेम के अभ्यास में मैं आकाश से खींच लाई इंद्रधनुष – कंचनलता जायसवाल

बोधिवृक्ष  जब मैंने स्त्री को जाना  जैसे छूकर मिट्टी को जाना जैसे छूकर जल को जाना  जैसे छूकर अग्नि को जाना  स्त्री तुम हो बोधि

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कविता

जब चैत के महीने में मेरे आँगन की फ्योली खिलेगी मैं सो जाऊॅंगी और तुम सोचोगे मैं मुस्करा रही हूँ – दीपिका ध्‍यानी घिल्‍डियाल

(1) खुरदुरे हाथों वाली पहाड़ी लड़कियां गर्भ में सीख जाती हैं, कितनी कसकर थामनी है दरांती किस गोलाई में समेटनी है हथेली ताकि काटी जा

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आलोचना / समीक्षा

देखता हूँ पहले कौन चीखता है : विजयदेव नारायण साही – संदीप तिवारी

विजयदेव नारायण साही का यह जन्म शताब्दी वर्ष है। वह मूलतः कवि थे। यह अलग बात है कि  वह हिंदी आलोचना में एक प्रखर आलोचक,

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