अनुनाद

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उलटबांसियों से पगा है यह क्षणिक जीवन/मंजुला बिष्‍ट

   सखी-संवाद     एक सधन्यवाद पत्र सखी!जितना समझी हूँ अब तलकसंसार में सुख-दुःख की आदी परम्परा रही है,सुख अपने भीतर गिरकर उन्मादी होते हैंतो,दूसरों के भीतर बरसकर

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तुम्‍हारे अंदर कौन खामोश बैठा कविता लिखता है/राकेश रोहित 

                             मॉं की स्‍मृति में     (1)दुख की लंबी उड़ान के बादकहाँ लौटती है आत्माएँकहाँ रीत जाता हैइच्छा के अक्षय पात्र में सिमटा

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हिन्‍दी साहित्‍य और न्‍यू मीडिया/ श्रीविलास सिंह से मेधा नैलवाल का साक्षात्‍कार

मेधा : हिंदी साहित्य और न्यू मीडिया के संबंध को आप किस तरह देखते  हैं ? श्रीविलास सिं‍ह : किसी भी साहित्य को पाठकों तक पहुँचने हेतु किसी

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आशियाना/ पूजा गुप्‍ता

आनन-फानन में रामेश्वरी ने अपना सामान बांध लिया और चलने को तैयार भी हो गई। गुस्से की इन्तहा इतनी थी कि मुंह से ना एक

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सदा से ही तमाम जीवनों के लिए अपना जीवन जीती रही है इजा/   गिरीश अधिकारी  की कविताऍं   

     लेसू रोटियां      उनदिनों जब  इजाके पास मडुवा था  औरमेरे पास थी एक जि़द कि गेहूँकी ही रोटी खानी है  तबपदार्पण हुआ इन पहाड़ों में 

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