अनुनाद

बोधिसत्व

बोधि भाई की एक और छोटी – सी, लेकिन अर्थ विस्तार में खूब बड़ी और खुली कविता


सिकंदर

सिकंदर !
सैनिक थके हुए हैं
सैनिक अपने परिवार में पहुँचना चाहते है
सैनिक सोना चाहते हैं
अपने घर में
सैनिक अपने बच्चों को एक बार चूमना चाहते हैं

सैनिक अपने को
तुमसे और घोड़ों से अलग साबित करने के लिए
बीड़ी पी रहे हैं !
***

0 thoughts on “बोधिसत्व”

  1. बहुत खूब – [ ? ऐसा सिकंदर क्यों नहीं चाहते ?] -धन्यवाद -[ और इनकी कविताएँ कविता कोष में भी मिल गई हैं ]

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