अनुनाद

मैं एक दिन ढूँढ रहा हूँ: लाल्टू की एक कविता

मैं एक दिन ढूँढ रहा हूँ


मैं एक दिन ढूँढ रहा हूँ
साल में कभी कोई एक दिन
जिस दिन किसी नादिरशाह ने किसी मोदी ने
न किया हो क़त्ल-ए-आम
क्या मेरा जन्मदिन ऐसा दिन है
मत बतलाओ मुझे कि मेरे जन्मदिन को
इतिहास में कितना खून बहा है
मेरा जन्मदिन हो निष्कलंक, पवित्र
प्यार से भरा
मेरे जन्मदिन को वैलेंटाइन डे कह दो
कह दो कि मेरा जन्मदिन मानव-अधिकार दिवस है
कह दो मेरे जन्म पर दिए जाते हों पुरस्कार विलक्षण मानवीय प्रतिभाओं को
मुझे दे दो एक दिन जब मनुष्य सिर्फ मनुष्य से प्रेम करता हो
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(प्रिय कवि लाल्टू को उनके जन्मदिन पर अनुनाद की शुभकामनाएँ)
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0 thoughts on “मैं एक दिन ढूँढ रहा हूँ: लाल्टू की एक कविता”

  1. ऐसी कोई तारीख तो याद नहीं पड़ती… हाँ कोई हो तो ये बंद भी ऐसा ही चाहेगा…

  2. लाल्टू को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई।

    आज का दिन हो कविता का
    कविता कि ओर मुड़-मुड़ जाने का
    आज का दिन को व्यक्तित्वों के विभाजन से लड़ने का
    खुद ही तुड़-मुड़ जाने का
    आज का दिन हो बराबरी के लिए संघर्ष को समर्पित
    आज का दिन हो
    समतल आसमान की ओर उड़-उड़ जाने का

  3. आज के दौर में ये खवाहिश बेमानी मालोम पड़ती है ….पर उम्मीद पर दुनिया कायम है .जन्मदिन की शुभकामनाये

  4. मैं एक दिन ढूँढ रहा हूँ…
    मुझे दे दो एक दिन जब मनुष्य सिर्फ मनुष्य से प्रेम करता हो…

    और कहने को क्या बाकी रह जाता है?

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