अनुनाद

निकानोर पार्रा और होर्खे लुईस बोर्खेस श्रीकांत दुबे के सौजन्य से

वे रहे, हू ब हू वैसे ही, जैसे वे थे
उन्होंने चांद को पूजा – लेकिन थोड़ा कम

उन्होंने टोकरियां बनाईं लकड़ियों की
गीत और धुनों से खाली थे वे
खड़े खड़े किए बेलौस प्यार
अपने मृतकों को दफनाया भी खड़े ही
वे रहे, हू ब हू वैसे ही, जैसे वे थे।

निकानोर पार्रा ______________________________
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आत्महत्या

एक सितारा तक न बचेगा रात में।
नहीं बचेगी रात।
मैं मरूंगा और,
मेरे साथ
ब्रह्माण्ड की असह्य संपूर्णता भी।
मैं मिटा दूंगा मीनारों, प्रशस्तियों,
महाद्वीपों और चेहरों को।
मैं इकट्ठे इतिहास का सफाया कर दूंगा।
धूल में बदल दूंगा इतिहास को, धूल को धूल में।
मैं देख रहा हूं अंतिम सूर्यास्त।
सुन रहा हूं आखिरी परिंदे को।
मैं ‘कुछ नहीं’ को ‘किसी को नहीं’ सौंपता हूं।

-होर्खे लुईस बोर्खेस ________________________________

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श्रीकांत एक कुशल अनुवादक होने साथ साथ एक आत्मीय मित्र, कवि और कथाकार भी हैं. मूल से अनूदित इन कविताओं के लिए श्री का आभार….

0 thoughts on “निकानोर पार्रा और होर्खे लुईस बोर्खेस श्रीकांत दुबे के सौजन्य से”

  1. श्रीकांतजी, लगे रहिए। स्पेनी भाषा में और शिक्षा पाने की आस बनाए रखिएगा। और अंग्रेज़ी अनुवाद का सहारा कभी मत लीजिएगा।

    वैसे, यह लेख भी पढ़कर देखिए।

    शिरीषजी, मुझे ख़ुशी हुई।

  2. "मैं मिटा दूंगा मीनारों, प्रशश्तियों,"

    शायद 'प्रशश्तियों' शब्द की जगह 'प्रशस्तियों' होगा।

  3. यह बात पहले मेरे ध्यान में नहीं आई। श्रीकांत दुबे लिखते हैं– होर्खे लुईस बोर्खेस। प्रभाती नौटियाल बताती हैं— खोर्खे लुइस बोर्खेस। अंग्रेज़ी विकिपीडिया पर अंतर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में Jorge Luis Borges का उच्चारण बता रखा है– [ˈxorxe ˈlwiz ˈβorxes]। इस x का उच्चारण यहाँ से सुना (पाँच स्थितियों में)। सचमुच 'हल्के ख' और 'ह' जैसा है। एक बार अभयजी तिवारी भी इसी नाम को लेकर दिमाग़ खपा चुके हैं।

  4. #सोनू , कविता पर कुछ कहने से पहले इन लिंक्स के लिए धन्यवाद कहना चाहता हूँ. महत्वपूर्ण जानकारियाँ हैं.

  5. आप सब की प्रोत्साहक प्रतिक्रियाओं के लिए शुक्रिया.. अभी अपने गाँव में हूँ, यहाँ आई एक आंधी ने बिजली के तंत्र को इतनी बुरी तरह प्रभावित किया है की मेरे लौट आने तक भी शायद कुछ ठीक न हो पाए, तमाम जोड़ तोड़ के बाद जाकर कहीं से इन्टरनेट से जुड़ पाया हूँ,..
    @ सोनू जी : रोमन अल्फाबेट 'J' को स्पैनिश में 'खोता' कहते हैं और इसका उच्चारण स्पानी के मूल डायलेक्ट 'कस्तिल्यानो' (स्पेन की स्पैनिश) में 'ख' और 'ह' के बीच होता है. जैसे कि ख़ामोशी वाला 'ख़', और लातिन अमेरिका की स्पैनिश में यह ध्वनि 'ह' के ज्यादा करीब होती है. चूंकि कवि लातिन अमेरिका से बावस्ता है, इसलिए मेरी समझ से 'Jorge ' का उच्चारण होर्खे ही होना चाहिए. शायद यह स्पष्टीकरण आपकी कुछ मदद करे, अगर नहीं तो फिर दो तीन दिनों बाद और क्लियर कर पाऊंगा, दिल्ली लौटकर…..

    श्रीकांत.

  6. मैं माफ़ी चाहता हूँ। मुझे श्रीकांतजी की स्पेनी भाषा की शिक्षा के बारे में मालूम नहीं है। मैंने बकवास की।

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