ओख्कर (अखरोट)
छूकर देखा तुम्हारा दिल
अखरोट के आकार का है
जिसे चूमने के बाद पता चला कि अखरोट के
नर्म गूदे की तरह
सुस्वादु है तुम्हारा प्रेम
छाती के भीतर यदि दिल न होता
तो जीवनसंगीत कहां धड़कता
यदि नारी और पुरुष न होते प्रेम के गीत कौन गाता
कौन करता अंत्येष्टि अगर हमारी संतानें न होती
कौन घर हमें अपनाता
घर न होता तो फिर देश क्यों आवश्यक होता
ओह,
यहां घरवालों का देश नहीं है
देशवालों के पास घर नहीं है
इसलिए मैं इस समय
इतिहास में चार नए खम्भे गाड़ना चाहता हूं
एक ही बार में घर और देश खोजने के लिए
आंदोलित होकर
लहू से देश की सीमाओं को लिख रहा हूं
मैंने फिर छूकर देखा
तुम्हारा दिल अखरोट के आकार का है
उसे चूमने के बाद मुझे पता चला
कि अखरोट के गूदे जैसा ही
सुस्वादु है
अपने देश का प्रेम।
***
जिस किसी भी देश के
ऊंचे से ऊंचे पर्वत से
जितने भी सफ़ेद कबूतर उड़ाओ
खुले आकाश में
दिन में
चील कबूतर का शिकार कर ही लेगी
और यह चील
अमेरिका का राष्ट्रीय पक्षी है
***
अन्तर्जाल पर मौजूद कवि का परिचय
नाम : विक्रम सुब्बा
जन्म मिति : वि.सं. २००९, पौष २० गते (January 3, 1953)
जन्मस्थान : पाँचथर फिदीम – ६, ओदिन
स्थाई ठेगाना : ८६/१५ शंखमूल, काठमाण्डौ
फोन : ४७८३५०१(घर), ९८५१०-७२९६५ (मोवाइल)
ईमेल : ingwaba2005@gmail.com
सम्प्रति : निर्देशक, हर्डेक-नेपाल
प्रकाशन
१. शन्तिको खोजमा (खण्डकाव्य)– २०३४ – Nepal
२. कविको आँखा कविताको भाखा (कविता संग्रह) – २०३९ – Nepali
३. सगरमाथा नाङ्गै देखिन्छ (कविता संग्रह) – २०४१ – Nepali
४. Concise Limbu Grammar and Dictionary – 1985 (२०४२) – English (Joint research and co-authored with late Dr. Alfons Wiedert, Kiel University/Germany
५. सुम्निमा पारुहाङ (मुन्धुम काव्य)– २०४५ – Nepali
६. विक्रम सुब्बाका कविता र गीतहरू – २०६०, प्रकाशक: लक्ष्मीसुन्दर निङलेखु , शंखमुल काठमाण्डौ – Nepal
aaj subah-subah sundar naipali kavitaon padane ko mili achha laga. kavitaon ki tarah anuvad bhi achha hai. isakeliye Anil bhai sadhuvad ke patra hain .aasha hai aage bhi or naipali kavitayen padane ko milengi. anil bhai svayna bhi achhe kavi hain khabhi unaki kavitayen bhi Anunaad main padane ko milengi yah aasha karata hun.
मूल भाषा से अनुवाद की बात ही कुछ और होती है। बधाई अनिल को। आगे भी ऎसे अनुवादों का इंतजार रहेगा।
और यह चील अमरीका का राष्ट्रीय पक्षी है ! सीधी साफ बात . बहुत सुन्दर! और भी नेपाली कविताएं चाहिए शिरीष भाई.
अच्छी लगीं कवितायें । कवि , अनुवादक और प्रस्तुतकर्ता सभी को बधाई ।
ados-pados ki bhavdhara ko vyakt karane ke liye apka sadhuvad. pashchatyakavitaon ke anuvadon ke drumer shor men bashi ki tarah ki surili, jivan ka uddam ubhaarati nepali kavitaon ko anunnad par dekh aur padh kar sukh ka anubhav hua. phir se apko saadhuvad.
behtareen kavitayen ….. aap anil ji tak hamara anurodh pahuncha den ki do chhoti kavitaon ne hamari nepali kavitaon ki pyaas aur badha di…
yadvendra
कितनी अपनाईयत भरी…अनिल जी से आग्रह कि नेपाल के कुछ और कवियों को पढ़वायें..
उम्दा .