मैंने दो पोस्ट पहले थकान और कुछ निजी वजहों से अनुनाद पर गतिविधियों के शिथिल रहने की बात कही थी, मेरा हाल वैसा ही है पर के पी सिंह लगातार कम्प्यूटर कविता वालपेपर बना रहे हैं और अपने तकनीकी स्वरूप के बावजूद ये सुन्दर हैं, इन्हें देखने का मन करता है। सो एक तरह से इधर मुझे कोई मेहनत नहीं करनी है, बस के पी की भेजी तस्वीरें चिपका देनी हैं। इस बार प्रस्तुत हैं वीरेन डंगवाल की चार कविताएं।
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बेहद सुन्दर रचनाएं….
आभार दिल से..
अनु