अनुनाद

अनुनाद

असद ज़ैदी की कविता

मुझसे साफ़ करने को कहा जाएगा

मुझसे साफ़ करने को कहा जाएगा
कूड़ा जो मैं फैला रहा हूँ

मेरी स्मृति इसी कूड़े में इच्छाशक्ति गई कूड़े में
भूल गया क्या था मेरा सामान कूड़ा याद रहा
ये जो अफ़सोस भरा सर लिए मैं जाता हूँ
जल्दी ही कहा जाएगा इसे फेंको
जीवन को जियो जीवन की तरह

मुझसे कहा जाएगा बेफ़िक्र हो जाओ
यह नहीं कहा जाएगा लोगों की फ़िक्र करो ताकि
वे तुम्हारी फ़िक्र करें

और एक सुबह नींद से उठ कर
मैं आज़ाद हो जाऊंगा
शरीर से छूटे पसीने की तरह आज़ाद !
*** 

0 thoughts on “असद ज़ैदी की कविता”

  1. ये आपका स्थायी भाव इतना प्रभावशाली है तो….
    जो लोगों के ऊपर से निकल जाए तो कहते हैं कि रचना में दम है….
    मेरी स्मृति इसी कूड़े में इच्छाशक्ति गई कूड़े में
    भूल गया क्या था मेरा सामान कूड़ा याद रहा
    कुछ भी है दम है…

  2. achhi kavita chuni aapne…yh apne aap men bahut kuch khti hai…mujhe to ab yh lagta hai ki asad jaise mushkil kavion ki aur kavitayen deni chahiye blog pr…vyomesh aapki kmi mhsoosh rhe the yahan…

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