राजेन्द्र कैडा
दोस्तो ये बिना शीर्षक कविता एक बिलकुल नए कवि के पहले प्रेम की कविता है ! आप बताइए कैसी है ! *** सपनों पर किसी
दोस्तो ये बिना शीर्षक कविता एक बिलकुल नए कवि के पहले प्रेम की कविता है ! आप बताइए कैसी है ! *** सपनों पर किसी
एक कविता जो पहले ही से ख़राब थी होती जा रही है अब और ख़राब कोई इंसानी कोशिश सुधार नहीं सकती मेहनत से और बिगाड़
सुकूते- राह में उसके कयाम की दुनिया बहुत हसीन है अब मेरे नाम की दुनिया मुझे है चाह फजा में बिखर के रहने की ये
बोधि भाई की एक और छोटी – सी, लेकिन अर्थ विस्तार में खूब बड़ी और खुली कविता सिकंदर सिकंदर ! सैनिक थके हुए हैं सैनिक
बोधिसत्व की ये कविता उनके पहले संकलन से है और आप देख सकते हैं कि वैश्विक स्तर पर आज कितनी प्रासंगिक है। ऐसी ही कुछ
सबसे पहले ये कविता कबाड़खाना पर अशोक ने लगाई। मैंने इसे पढ़ा और फिर जगूड़ी जी से फोन पर बात हुई। इसे अनुनाद पर लगाने
अधबना स्वर्ग हताशा और वेदना स्थगित कर देती हैं अपने -अपने काम गिद्ध स्थगित कर देते हैं अपनी उड़ान अधीर और उत्सुक रोशनी बह आती