अनुनाद

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आज की इराकी कविता- लतीफ़ हेलमेट : चयन तथा प्रस्तुति – यादवेन्द्र

(सोहेल नज़्म के अंग्रेज़ी अनुवाद से रूपान्तरित)

स्त्री का दिल

स्त्री का दिल इकलौता ऐसा मुल्क है
जहां मैं दाखिल हो सकता हूं बग़ैर किसी पासपोर्ट के
कोई पुलिसवाला नहीं मांगता
मेरी पहचान का कार्ड
न ही लेता है तलाशी
उलटपुलट कर मेरे सूटकेस की
इसमें ठूंस ठूंसकर भरी गई हैं
ग़ैरक़ानूनी खुशियां
प्रतिबंधित कविताएं
और रसीली तकलीफ़ें

स्त्री का दिल इकलौता ऐसा मुल्क है
जो ज़खीरे नहीं बनाता मारक हथियारों के
न ही झोंकता है अपने लोगों को
लड़ने के लिए
ख़ुद की छेड़ी लड़ाइयां !


चित्र

टीचर ने छात्रों से कहा –
बनाएं कोई भी चित्र जो मन करे

प्रिंसपल के बेटे ने रच-रचकर बनाया
नई शेवरलेट का चित्र

बिल्डर के बेटे ने उकेरा
मॉल और होटल का रंगबिरंगा काम्प्लेक्स

पार्टी मेंबर के बेटे ने खींचा
बख़्तरबंद कार का चित्र

और स्कूल के चपरासी की बेटी
निश्चिंत भाव से बनाने लगी रोटी का चित्र !
****
(फ्लावर्स ऑफ फ्लेम: दि अनहर्ड वाइसेज़ ऑफ ईराक से साभार)

0 thoughts on “आज की इराकी कविता- लतीफ़ हेलमेट : चयन तथा प्रस्तुति – यादवेन्द्र”

  1. ''स्त्री का दिल एक ऐसा मुल्क है ,
    जहाँ मै दाखिल हो सकता हूँ बगैर किसी पासपोर्ट के ''
    पर वापस जाने का वीजा नही मिलता जल्दी ………

  2. बहुत अच्छी कविताएं हैं ! कृपया इस अंग्रेजी पुस्तक के पब्लिशर के बारे में बताएं !

  3. अच्छी कविताएं !
    सुशीला पुरी ने बात मुकम्मल की. वर्ना मर्दों को अकसर गलतफहमी हो जाया करती है, कि स्त्री के दिल मे दाखिल हो कर उस मुल्क़ के आक़ा ही हो गये…

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