अनुनाद

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सभ्यता के गलियारे में रखे हुए टायर: मार्टिन एस्पादा

कविचित्र यहाँ से साभार

सभ्यता के गलियारे में रखे हुए टायर
–चेल्सिया, मैसाच्युसेट्स

“जी हुज़ूर, चूहे हैं”
मालिक-मकान ने जज से कहा,
“पर मैं किरायेदारों को बिल्ली पालने देता हूँ.
इसके अलावा, गलियारे में यह अपने टायर रखता है.”

किरायेदार ने अटपटी अंग्रेजी में इकबाल किया,
“हाँ हुज़ूर, मैं अल सल्वाडोर से हूँ
और अपने टायर गलियारे में रखता हूँ.”

जज ने अपना गाउन फड़फड़ाया
जैसे काला पंछी पानी झटकने के लिए
अपने पंख फड़फड़ाता है:
“बाहर करो टायर गलियारे से!
तुम किसी जंगल में नहीं रह रहे हो! यह सभ्य लोगों का देश है.”

तो इस तरह प्रतिवादी को
सभ्यता के गलियारे से उसके टायर हटा लेने का आदेश
दिया गया,
और बिल्ली पाले रखने की
इजाज़त दी गई.
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0 thoughts on “सभ्यता के गलियारे में रखे हुए टायर: मार्टिन एस्पादा”

  1. adbhut shilp aur kathya ki kavita…shabaash aur shukriya bhai ham jaison ko kavita ke naye sthanik aur sarvabhaum satya se parichit karvane ke liye…

    yadvendra

  2. बड़ी अच्छी कविता …
    समस्या पैर में हो बेसहूर
    डाक्टर सर कटाने की
    आज्ञा देता है ……………

  3. अद्भुत कविता
    क्या व्यंजना है!
    और अनुवाद भी ऐसा कि लगा हिन्दी में ही लिखी गयी है। वाह

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