अनुनाद

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निकानोर पार्रा और होर्खे लुईस बोर्खेस श्रीकांत दुबे के सौजन्य से

वे रहे, हू ब हू वैसे ही, जैसे वे थे उन्होंने चांद को पूजा – लेकिन थोड़ा कम उन्होंने टोकरियां बनाईं लकड़ियों कीगीत और धुनों

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एक प्रेम कविता …

आज दोपहरमेरे जीवन के भीतर एक औरत चली जा रही थीगुस्से मेंअपने चार साल के बच्चे के साथ बच्चे के कंधे पर बस्ता थाबस्ता चार

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पाकिस्तानी कविता में स्त्री तेवर- तीसरी कड़ी

अंगारा मेरी ख्वाहिश– सारा शगुफ्ता इज्जत की बहुत सी किस्में हैंघूंघट, थप्पड़, गंदुमइज्जत के ताबूत में कैद की मेखें ठोंकी गई हैंघर से लेकर फुटपाथ

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