अशोक कुमार पांडेय की नई कविता
अशोक कुमार पांडेय की ये कविता कल मिली….कई बार पढ़ी। जब कविता अर्थ से अभिप्रायों में चली जाती है तो उसे कई बार पढ़ना होता
अशोक कुमार पांडेय की ये कविता कल मिली….कई बार पढ़ी। जब कविता अर्थ से अभिप्रायों में चली जाती है तो उसे कई बार पढ़ना होता
कमल जीत चौधरी मेरे इंतज़ारों की कविता – अब तक इस वाक्य का प्रयोग कुछ चुनिन्दा अग्रजों की कवियों की कविता के लिए किया है
शमशेर बहादुर सिंह के बाद विनोद कुमार शुक्ल ही एक ऐसे कवि हैं, जिनकी कविता को पढ़ते हुए मैं अचानक ख़ुद को बहुत सावधान, विनयी
ये एक नौजवान कवि की कविताएं हैं, जिनमें उसकी उम्र छलकती-सी दीखती है। इतना उत्साह और हर जगह भागीदार होने का अहसास अपने समकालीन जीवन
आज कई महीने बाद अपने उचाट सूनेपन में मेरे क़दम अब तक स्थगित रखे गए फेसबुक की ओर बढ़ गए और वहां वो मिला, जिसकी
रात में इस रात में सितारों जैसे हज़ार हज़ार लोगों से मिलता हूं हिलता हूं अंदर