द पीस पोएट्स के ल्यूक नेफ्यू का यह प्रतिरोध गीत पिछले कई महीनों से
अमेरिका के अश्वेत बहुल इलाकों में आजकल अक्सर सुनायी देता है …फ़ेसबुक ,ट्विटर और इंटरनेट आधारित अन्य जन संवाद माध्यमों
में इसकी धूम मची हुई है। श्वेत पुलिस वालों द्वारा अश्वेत युवकों के ख़िलाफ़
अकारण अंजाम दी गयी एक के
बाद एक घृणा प्रेरित हिंसा की घटनाओं ने अश्वेत युवकों को उद्वेलित और आवेशित कर
दिया है।
छोटे से इस गीत का शीर्षक जुलाई 2014 में न्यूयॉर्क स्टेट में एक नौजवान श्वेत पुलिस अफ़सर डेनियल पेंटालियो द्वारा
यातना देकर और गला घोंट कर मार डाले गये 44 वर्षीय अश्वेत एरिक
गार्नर द्वारा जीवन के आख़िरी पलों में बोले गये शब्दों पर आधारित है जिसमें गार्नर गला दबाने के कारण साँस न आने की शिकायत करता रहा पर पुलिस वालों ने उसकी एक न सुनी और वह
सड़क पर तड़प कर मर गया। एक घण्टे बाद जब गार्नर को अस्पताल ले जाया गया तो वह
जिन्दा इंसान नहीं बल्कि लाश बन चुका था। पोस्ट
मॉर्टम रिपोर्ट में उसकी मृत्यु को होमिसाइड (क़त्ल ) माना गया और कारण गला दबाने
से साँस रुक जाना बताया गया। इसके बाद जब मुकदमा चला तो राज्य की ग्रैंड जूरी (23 सदस्यों वाली जूरी में 14 गोरे ,5 अश्वेत और शेष दूसरी नस्लों के
सदस्य थे )ने श्वेत पुलिस अफ़सर डेनियल पेंटालियो को तमाम सबूतों को दर किनार कर दोष मुक्त कर दिया।इस फैसले का आम जनता ने(
अश्वेत समुदाय अग्रणी भूमिका में) पूरे अमेरिका में कड़ा विरोध किया — यहाँ तक कि वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा और पूर्व
राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने भी। कलाकारों और लेखकों ने बड़े विरोध प्रदर्शन आयोजित
किये और ख्यात गायकों ने इस गीत को जगह जगह पर गाया — यहाँ तक कि बड़े खिलाड़ियों
ने भी बड़े पैमाने पर “आई कांट ब्रीद” लिखी
हुई टी शर्ट्स पहन कर नस्लवादी हिंसा के प्रति मौन प्रतिरोध दर्ज़ कराया।
“आई कांट ब्रीद”
मुझे सुनाई दे रही है भाई की करुण चीख
कि “मैं ले नहीं पा रहा हूँ साँस तक” …
अब मैं संघर्ष में शामिल हूँ , और कहूँगा
कि “बीच रास्ता छोड़ कर भाग नहीं
सकता”
रंगभेदी पुलिस की हिंसा के ख़िलाफ़ उठानी ही होगी आवाज़ …
अब हम रुकने वाले नहीं
जबतक आज़ाद न हो जाये अवाम !
अब हम रुकने वाले नहीं
जबतक आज़ाद न हो जाये अवाम !
(गीत के ढाँचे में नहीं ,सिर्फ़ भावार्थ प्रस्तुत है)
हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता सैमुएल जैक्सन ने एक वीडियो पोस्ट कर के सभी
सेलिब्रिटीज़ से अनुरोध किया है कि वे सार्वजनिक तौर पर “आई कांट
ब्रीद” गीत गायें।
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सुन्दर रचना सामायिक बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करते हुए , बेहतरीन अभिब्यक्ति , मन को छूने बाली पँक्तियाँ
कभी इधर भी पधारें
बढ़िया
प्रतिरोध जरूरी है ऐसी घटनाओं का…रंगभेद और पुलिस हिंसा सब जगह जारी है..