इमरजेंसी : एक पारंपरिक रूपक – प्रस्तुति : विकासनारायण राय Leave a Comment / By Anunad / June 19, 2015 राजा बोला रात है रानी बोली रात है मंत्री बोला रात है संत्री बोला रात है यह सुबह-सुबह की बात है
Mukul Saral June 21, 2015 at 7:52 pm इसी बात को हमारी मां कुछ इस तरह सुनाती हैं- एक दिन राजा ने कहा बैंगन बहुत भला है, हमने भी झट कह दिया सर पर ताज धरा है एक दिन राजा ने कहा बैंगन बहुत बुरा है, हमने भी झट कह दिया बेगुन नाम धरा है। Reply
आपातकाल पर सरल ,संक्षिप्त ,सटीक कविता
वाह, बहुत खूब
इसी बात को हमारी मां कुछ इस तरह सुनाती हैं-
एक दिन राजा ने कहा बैंगन बहुत भला है,
हमने भी झट कह दिया सर पर ताज धरा है
एक दिन राजा ने कहा बैंगन बहुत बुरा है,
हमने भी झट कह दिया बेगुन नाम धरा है।