बैजनाथ मंदिर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में गोमती नदी के किनारे बसा है, जो अल्मोड़ा से लगभग 70 किमी उत्तर-पश्चिम में है। ये कुमाऊँ हिमालय की गोमती घाटी (कत्यूर वैली) में करीब 1,130 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस मंदिर का नाम “बैजनाथ” भगवान शिव के चिकित्सकों के स्वामी वाले स्वरूप से आया है।
मंदिर कॉम्प्लेक्स में शिव, गणेश, पार्वती, चंडिका, कुबेर, सूर्य और ब्रह्मा की मूर्तियाँ हैं। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण काले पत्थर से बनी पार्वती की खड़ी मूर्ति है, जिसके चारों ओर 26 लघु प्रतिमाएं हैं। आसपास की हरियाली और नदी का संगम इसे बेहद खूबसूरत बनाता है।
ये मंदिर 12वीं शताब्दी का है, जिसे कत्यूरी राजाओं द्वारा बनवाया गया। कत्यूरी किंगडम (7वीं-13वीं सदी) ने कुमाऊँ और गढ़वाल के बड़े हिस्से पर राज किया था।
1565 में अल्मोड़ा के राजा कल्याण चंद ने इसे कुमाऊँ में मिला लिया। ब्रिटिश काल में ये अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था, और आजादी के बाद 1997 में बागेश्वर अलग जिला बना। पुरातत्व सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (ASI) ने इसे नेशनल इंपॉर्टेंस का स्मारक घोषित किया है।
मंदिर का मुख्य आकर्षण शिव वैद्यनाथ को समर्पित है, जो हिंदू मान्यताओं में रोगों से मुक्ति का प्रतीक है।
ये एक मंदिर समूह है, जिसमें भगवान शिव का मुख्य मंदिर और 17 सहायक मंदिर हैं, जिन्हें केदारेश्वर, लक्ष्मी-नयन और ब्राह्मणी देवी आदि कहा जाता है।
बैजनाथ मंदिर वास्तव में शिव, गणेश, पार्वती, चंडिका, कुबेर, सूर्य और ब्रह्मा की मूर्तियों वाले मंदिरों का एक समूह है।
हिंदू मान्यताओं में यह मंदिर बहुत महत्व रखता है क्योंकि, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव और पार्वती का विवाह गोमती नदी और गरूड़ गंगा के संगम पर हुआ था।
इस मंदिर समूह के बाहर एक कृत्रिम झील का निर्माण भी किया गया है, जिसमें कई मछलियां दिखती हैं।