मालिनी गौतम की कविताएं
1. दर्द पके-पके-से लड़की जब भी देखती है काँच के पानी भरे ग्लास में पड़े बर्फ के चौकोर टुकड़े को उसे
1. दर्द पके-पके-से लड़की जब भी देखती है काँच के पानी भरे ग्लास में पड़े बर्फ के चौकोर टुकड़े को उसे
ईरानी कवियित्री और ऐक्टिविस्ट नसरीन परवाज़ जेल की सज़ा भुगत चुकी हैं। मानव त्रासदी कितनी कितनी विकट होती है, फिर भी
देश के 5 राज्यों में चुनाव हैं। जनता के बीच कुछ भ्रम पहले से थे और कई इस बीच डाल दिए
इस दुनिया में रात भर जागती है कोई स्त्री इसी दुनिया में कोई कोई पागल प्रेम कर बैठता है सरल, लगभग
कवि की औपचारिक अनुमति से हिंदी में पहली बार अनूदित ये कविताएं प्रिंट में जनसत्ता में आई थीं, (वैसे ये अनुवाद मूलत
स्तनपान के बारे में वैज्ञानिक शोध चाहे कितनी सकारात्मक बातें कहें पूरी दुनिया में युवा शहरी और कामकाजी स्त्रियों में इसको लेकर
सोशल मीडिया पर रहने दौरान अचानक मेरा ध्यान नेत्र सिंह असवाल जी की टाइमलाइन पर गया। वहां हिंदी और उर्दू कवियों
प्रशान्त की कविताएं समकालीन युवा कविता संसार में केन्द्रों के बरअक्स सीमान्तों की हूक की तरह हैं। उन्हें पढ़ना दूर-दराज़ के
समकालीन कविता-संसार में विपिन चौधरी का हस्तक्षेप बख़ूबी पहचाना गया है। अनुनाद पर विपिन की उपस्थिति के ये लिंक पाठकों के
अदनान कफ़ील दरवेश हिंदी कविता के इलाक़े में नया नाम है। मैंने सोशल मीडिया पर उनकी दो-तीन कविताएं पढ़ीं और उनसे