आज का दिन बहुत घटनाप्रधान है ! अभी मुझे आसमान से टपकी हुयी किसी अनमोल सौगात जैसी कवि चंद्रकांत देवताले की दो चित्रकृतियाँ मिली हैं …. अधिक कुछ न कहते हुए आपके लिए भी तुरत हाज़िर है ये सौगात ! देवताले जी ने पहली बार चित्र बनाए हों, ऐसा नहीं है ! उनके बनाए चौंसठ चित्रों की प्रदर्शनी भी एक बार बहुत पहले लग चुकी है! ये चित्र उनका अभी का काम हैं। उन्हें बेहद प्रतिकूल जीवन स्थितियों में भी इस तरह रचनारत देखना सुखद भी है और प्रेरक भी !
पहली पेंटिंग दिलचस्प है। ये पेंटिंग्स मैं कुछ दिनों पहले युवा कवि बहादुर पटेल के ब्लॉग पर देख चुका हूं लेकिन यहां ये ज्यादा बेहतर ढंग से लगाई गई हैं।
mujhe unke chitrkaar ke bare mein jankari nahi thee. ravindra bhai to is field ke admi hain aur hara unka priya bhi hai.