ताल के ह्रदय बले
दीप के प्रतिबिम्ब अतिशीतल
जैसे भाषा में दिपते हैं अर्थ और अभिप्राय और आशय
जैसे राग का मोहतड-तड़ाक-तड-पड़-तड-तिनक-भूम
छुटती है लड़ी एक सामने पहाड़ पर
बच्चों का सुखद शोर
फिंकती हुई चिनगियाँ
दीप के प्रतिबिम्ब अतिशीतल
जैसे भाषा में दिपते हैं अर्थ और अभिप्राय और आशय
जैसे राग का मोहतड-तड़ाक-तड-पड़-तड-तिनक-भूम
छुटती है लड़ी एक सामने पहाड़ पर
बच्चों का सुखद शोर
फिंकती हुई चिनगियाँ
बग़ल के घर की नवेली बहू को
माँ से छुप कर फुलझड़ी थमाता उसका पति
जो छुट्टी पर घर आया है बौडर से.
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अनुनाद के सभी पाठकों को दीवाली की मुबारकबाद.
आपको भी दिवाली की हार्दिक बधाई..लक्ष्मी तो चंचला और क्लास डिवाईड-जननी है.. अतः सरस्वती सदा आपके साथ रहे..(लक्ष्मी भी काम भर रहे तो बुरा नहीं है)..:)
इकबाल अभिमन्यु
ज्योतिपर्व की मंगल -कामनाएँ !!!