अनुनाद

अपनी भाषा को समझने के बारे में – यादवेन्द्र

पिछले अक्तूबर में चीन के कुछ इलाकों में तिब्बती भाषा के बोलने लिखने और पढ़ाये जाने पर जब सरकारी पाबन्दी लगा दी गयी तो नौजवानों ने इसके विरोध में उग्र प्रदर्शन किये. इसका विवरण देते हुए इन्ही में से किसी ने www.highpeakspureearth.com वेब साईट पर भाषाओँ को बचाए जाने की वकालत करती हुई एक कविता उद्धृत की :

जब आप साँस लेना बंद कर देते हैं
हवा बचती नहीं,नष्ट हो जाती है.
जब आप चलना फिरना बंद कर देते हैं
तो लुप्त हो जाती है धरती भी.
जब आप बोलना बंद कर देते हैं
तो शेष नहीं बचता एक भी शब्द…
सो, बोलिए बतियाइए जरुर
अपनी अपनी भाषा में.
***
लगभग इसी सन्दर्भ में www.thaiwomantalks.com नामक वेब साईट पर एक थाई कविता का अंग्रेजी तर्जुमा मिला :

यदि आप संगीत का रियाज बंद कर दें सात दिन
तो संगीत आपको छोड़ कर विदा हो जायेगा..
यदि आप अक्षरों को लिखना पढना बंद कर दें सिर्फ पाँच दिन
तो सम्पूर्ण ज्ञान लुप्त हो जायेगा देखते देखते..
यदि आप स्त्री को ध्यान से ओझल किये किये बिसार दें तीन दिन
तो रहेगी नहीं वो वही स्त्री और चली जाएगी मुंह फेर कर आपसे दूर..
यदि आप अपना चेहरा बगैर धोये रह गए एक दिन भी
तो बिनधुला चेहरा आपको बना देगा निहायत कुरूप और लिजलिजा
***

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