यादवेन्द्र जी अनुनाद के सच्चे संगी-साथी हैं। उन्होंने विश्वकविता से कुछ बहुत शानदार अुनुवाद अनुनाद को दिए हैं। वे अनुनाद के सहलेखक हैं पर ख़ुद पोस्ट नहीं कर पाते….वजह शायद इस काम का न आना हो या फिर उनकी अतिशय विनम्रता….मैं दोनों पर बलिहारी हूं। हमारे अनेक अनुरोधों के बावजूद वे अपनी कविता सामने लाने से बचते रहे हैं। यहां प्रस्तुत हैं उनकी तीन नई कविताएं, जो मेरे लिए उपलब्धि हैं। इस बार पड़ी भीषण गर्मी को समर्पित ये कविताएं बहुत धीमे लेकिन सधे सुरों में अर्थ की परतें खोलती हैं। अनुनाद इनके लिए कवि का आभारी है।
बेमौसम झड़ गये आम इस बार
झंझा की कौन कहे आज का समय इतना बलवानकि इसके अंदर कहीं कोई जगह और गुंजाइश नहींपराक्रम और जूझ से भरी असफलता कीकुदरत के कोप से धराशायी आमों की फ़ौजहमें यह एहसास करा देती हैकि फल कर पकना हीमोल देता है जीवन कोवरना झाड़ झंखाड़ जैसे बौर देख करइतराने वाला कोमल ह्रदयक्यों नहीं जाता अब पेड़ तलेसूनी कोख का दर्द बाँटने …..
*धूलइस मौसम में उठने वाली आँधी मेंकस कर खिड़की का दरवाज़ा बंद करनेऔर बीच में कपडा ठूँस कर रखने के बावजूदघर के अन्दर घुसी चली आती ही है ढीठ धूलऔर धीरे धीरे पसर जाती है प्रौढ़ प्रेमिका की मानिंदनाप तोल कर एक सी मोटाई की परत दर परतपूरे घर में कभी यहाँ तो कभी वहाँकुछ भी नहीं छोडती जो रह जाये उसकी शरारती छुअन से परेइस प्रेम में कहीं नहीं दिखता हैतो वो है अनगढ़ उद्दाम छिछोरापनरेगिस्तान के आवारा थपेड़ों से बने हुए आरोह अवरोह तो कहीं भी नहींबस दिखती है तो परम बारीकी से अपना घर मान करफर्श पर सम भाव से इत्मीनान से बिछ गयी बारीक धूलचौकस और नकचढ़ी इतनी कि ऊँगली लगाते हीदर्ज कर लेती है पूरी नफासत के साथ छेड़छाड़ का एफ.आई.आर. …हक़ के साथ घुस आती धूल हीरौशनी की तरह इस घर का स्थायी भाव हैबाकी सब तो आनी जानी…
**छायासर्दियों में धूप रोकने का दोष लगा केसरकारी तौर पर वन संरक्षक की इजाज़त सेकतर और बाद में जमींदोज कर दिए गये गूंगे पेड़इस गर्मी कुछ चैतन्य हुए तो भदभदाकरलद गये पीले और लाल बैंगनी फूलों से पत्ती विहीनजैसे भूल जाये कोई नींद से उठने की हड़बड़ी मेंदरवाज़ा खोलते वक्त लपेटना तौलियापरम उदार भाव से मुस्कुरा मुस्कुरा करफूल फेर रहे हैं रंगों की कूंचियाँ लॉन मेंलम्बे समय से दिखी नहींइस मौसम बालम संग चली गयी छाया जाने कौन से देसजमाना ख़राब है…सौभाग्यवतीलौटे तो आँखों के साथ साथ मन भी जुड़ाए……………………
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यादवेन्द्र / ए-24 , शांति नगर , रूडकी,उत्तराखंड
अाम की कविता खासकर पसंद अायी..
अनुनाद को धन्यवााद!