वैन गॉग की पेंटिंग गूगल से साभार |
सांइसदानों धिक्कार है तुम्हे !
प्रेम में एकनिष्ठता क्या होती है ?
– केवल एक से प्रेम !
प्रायः यही अर्थ है प्रेम में एकनिष्ठता
का
और आकांक्षा कि मेरे प्रेम पात्र का प्रेम
मिले केवल मुझे ही
क्या इसे नहीं कह सकते एकनिष्ठता हम …!
कि हर वह व्यक्ति जो पा ले तुम्हारा प्रेम
तनिक सा भी
वह मेरी ईर्ष्या का पात्र हो जाता है, ईर्ष्या भी अनंत !!
जानता हूं मैं कि लौकिक विचार नहीं है यह
और व्यवहारिक भी नहीं है..
प्रेम की बंधी बंधाई लकीरें तो नहीं होती
नियम और कायदे भी नहीं होते हैं
ईर्ष्या का गणित भी नहीं होता फिर तो …
एक दिन कह दिया जाए सनक है या पागलपन यह
प्रेम नहीं !!
भूलते हुए कि प्रेम पागल होने का दूसरा
नाम है
जिसका उन्माद सुख देता है
आनंद भी
और पीडा भी !!!
पीडा जिसका कोई दर्द निवारक ईजाद नहीं
किया है
अभी तक साइंसदानों ने !
***
2
एक विजेता का अपराध बोध
तुम्हारी ये खौफनाक चुप्पी
भर रही है मुझमें बहुत बहुत अपराधबोध
कोई कीर्तिमान बनने तक
तुम्हारी इच्छा है ये
कि मैं अपराध के बोध में जीउं
या कि छाया रहे तमाम उम्र
हमारे प्रेम पर
क्या रहेगा फिर प्रेम भी जीने लायक
बारिश के दिनों की ये यादें क्रूर
और मेरा अपराधबोध मिलकर
रचेंगे ही कोई नया इतिहास
उन इतिहासों से आगे जो लिखे हैं
इतिहासकारों ने
दुनिया भर के पुस्तकालयों अभिलेखगारों और
पुरातात्विक स्थलों पर घूम घूम कर
अपराध पराजितों के तय होते हैं तो उन्हीं
के होते हैं अपराधबोध
विजेताओं के शौर्यगान होते हैं, वीरकथाएं होती हैं
मेरी वीरता और जीत है प्रेम में
अपराधबोध के साथ ….!
***
3
तुम्हारा नहीं होना भी अगर होना ही है
और अधिक उदास कुछ
कुछ और यादों से लदी फदी टहनी जैसे पेड की
आकाश छोटा सा झांकता बालकनी से
और चांद की कुछ किरणें बोझिल सी
बिस्तर कुछ ज्यादा वीरान
और बाहें कुछ और व्याकुल
और मुरझा गए हैं पत्ते तुम्हारे पसंदीदा
पेड़ के
जो टेबल कैलेंडर की तस्वीर में है
कमरे की वे तमाम चीजें
जिनसे कोई न कोई संबंध तुम्हारा या याद की
कोई कतरन
वे सब शिकायत करते हुए मुझसे
तुम्हारी जगह पर तुम्हारे प्रतिनिधि बनकर
तुम नहीं होकर भी शामिल रहती हो
कभी हंसी बनकर कभी ताना बनकर
कभी पहाड़-सा गुस्सा बनकर
हरेक इतना कि लगे कि इसे ज्यादा गुस्सा, ज्यादा प्यार,
तीक्ष्ण ताने दुनिया में कहीं नहीं होंगे
होगे तो रहे होगे किसी आदिम काल में
संभव नहीं लगते ज्ञात और लिखित इतिहास के
कालखंड में !!
तुम्हारा नहीं होना भी अगर होना ही है
तो क्या कर लेती हो तुम कहीं और होकर मेरी
प्रिया!
***
4
कुछ बीज मेरी दादी
मेरे दोस्त !
प्रेम
वक्त बाद
में दबा दिया गया है
शानदार कवितायें। अंतिम तो देर तक रहने वाली रचना है।
बेहतरीन कविताएं !