फ्रेडी ग्रे |
अमेरिका के मेरीलैंड राज्य के बाल्टीमोर में 12 अप्रैल 2015 को गैरकानूनी तौर पर ऑटोमेटिक चाकू रखने के आरोप में एक 25 वर्षीय अश्वेत
युवक फ्रेडी ग्रे को पुलिस पकड़ती है और गाड़ी में थाने ले जाते हुए इतनी
बुरी तरह मारती पीटती है कि वह कोमा में चला जाता है और सात दिन बाद मृत घोषित कर
दिया जाता है। पोस्टमॉर्टम में अत्यधिक हिंसा के कारण स्पाइनल
कॉर्ड इंजरी होने की बात सामने आती है और इसको कानूनी तौर पर हत्या (होमिसाइड) बताया जाता है। राज्य का न्याय विभाग जाँच के बाद घोषित
करता है कि रिकॉर्ड बताते हैं कि उसने कोई अपराध नहीं किया था और उसके पास मिला
चाकू साधारण किस्म का था और उसको रखने पर किसी कानून का उल्लंघन नहीं होता।
सम्बंधित छह पुलिस वालों को हत्या का दोषी करार दिया गया और उन्हें सस्पेंड कर
दिया गया। इस क्रूर हत्या को लेकर बाल्टीमोर में उग्र प्रदर्शन और विरोध हुए और
शासन ने इमरजेंसी घोषित कर दी। इतना ही नहीं पूरे
अमेरिका में इसको लेकर जबरदस्त प्रतिरोध दर्ज़ कराया गया और राष्ट्रपति ओबामा तक को
इसके बारे में यह बोलना पड़ा
कि कानून के दायरे में रह कर विरोध दर्ज़ करने वालों पर कोई
करवाई नहीं की जायेगी
क्योंकि लोगों के लिए सच की तह तक पहुँचना ज़रूरी है।
बड़ी संख्या में कलाकार और गायक अलग अलग राज्यों से अपना
विरोध दर्ज़ करने बाल्टीमोर आये — लोरिंग कॉर्निश ने एक के बाद एक निहत्थे अश्वेत युवकों की हत्या पर रोष प्रकट करते हुए “लिंच्ड डॉल्स”
शीर्षक से अपनी कलाकृति प्रदर्शित की जिसमें अनेक काले गुड्डे गुड़िया गले में फंदा
लगाये लटकते हुए दिखाये गए थे। उन्होंने प्रदर्शन स्थल पर लिखा भी :”लिंचिंग
(बगैर किसी मुक़दमे के निर्बल लोगों का वध कर के सार्वजनिक
तौर पर पेड़ से लटका देना)की प्रथा आज भी अमेरिका में जारी है ….गोर पुलिस वाले
कानूनी स्वीकृति से कालों को कत्ले आम करने के लिये बुलेट और कानून का खुले आम
इस्तेमाल करते हैं। ” प्रसिद्ध अश्वेत गायक प्रिंस ने वहाँ
जाकर “बाल्टीमोर” शीर्षक से एक
भावपूर्ण गीत रिलीज़ किया ,जिसका भावानुवाद नीचे प्रस्तुत है
:
लिंच्ड डॉल्स |
***
किसी
ने किसी का रास्ता नहीं रोका
तो
आपको लगा आज का दिन अच्छी तरह बीत गया
कम
से कम बाल्टीमोर के दिन से तो खासा बेहतर
कोई
सुन रहा है क्या
कि
हम दुआयें कर रहे हैं माइकेल ब्राउन या फ्रेडी ग्रे के लिये ?
अमन
युद्ध की गैर मौज़ूदगी से कहीं कुछ ज्यादा होता है
हाँ
,युद्ध की गैर मौज़ूदगी से …….
क्या
हमें सड़कों पर और लहू देखना पड़ेगा
चीखते
कराहते लोगों को दम तोड़ते देख देख कर
अब
तंग आ चुके हैं हम
अब
तमाम बंदूकों की ज़ब्ती का समय आ गया है।
युद्ध की गैर मौज़ूदगी … आप और मैं
भरसक
कोशिश करें कि मिलकर जोर से बोलें
पानी
सिर से ऊपर पहुँच चुका अब.… बंद करो यह सब
यह
आपसी प्यार का समय है
यह
एक दूसरे की बात सुनने का समय है
यह
गिटार से धुनें निकालने का समय है
यह
गिटार के संगीत का समय है
बाल्टीमोर
…
यहाँ तो इनकी ज्यादा दरकार है।
जहाँ
इंसाफ़ नहीं वहाँ अमन भी कैसे आयेगा
जहाँ
इंसाफ़ नहीं वहाँ अमन भी कैसे आयेगा …
गायक प्रिंस |
(प्रस्तुति एवं भावानुवाद : यादवेन्द्र )