श्रीविलास सिंह ने विश्वकविता से बहुत महत्वपूर्ण अनुवाद हिन्दी में सम्भव किए हैं। हमेें कैरिबियाई कवि डेरेक वॉलकाट की दस कविताऍं मिली हैं। संसार में जनसाधारण के जीवन की सुघड़ता और मनुष्यता के मूल प्रश्नों के लिए लिखने वाले कवि की कविताऍं हम तक पहुँचाने के लिए हम श्रीविलास जी के आभारी हैं।
डेरेक वालकाट
डेरेक वालकाट का जन्म 23 जनवरी 1930 को वेस्ट इंडीज़ स्थित पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश सेंट लूसिया द्वीप पर हुआ था। कवि और नाटककार डेरेक वालकाट मूल रूप से चित्रकार के रूप में प्रशिक्षित थे किंतु काफी कम उम्र में ही उन्होंने लेखन प्रारंभ कर दिया था। उन्हें पहली बार प्रसिद्धि उनके 1962 में प्रकाशित संग्रह “In a Green Night: Poems 1948-1960” से मिली। अपनी लंबी और शानदार साहित्य यात्रा के दौरान वालकाट बार बार भाषा, शक्ति और स्थान के कथ्यों की ओर लौटे। उन्हें साहित्य के लिए 1992 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। नोबेल कमेटी ने उनकी रचनाधर्मिता का वर्णन करते हुए उनकी कविता को “ऐतिहासिक दृष्टि की शक्ति और बहुसांस्कृतिक प्रतिबद्धता से उत्पन्न प्रदीप्त काव्यकृति” कहा। वालकाट सामान्यतया बोस्टन, न्यूयॉर्क और सेंट लूसिया में रहे। वालकाट कवि के साथ साथ एक प्रसिद्ध नाटककार भी थे। उनकी मृत्यु 17 मार्च 2017 को सेंट लूसिया में हुई।
अनेक समीक्षक मानते हैं कि वालकाट अंग्रेजी भाषा के कुछ एक कवियों में से हैं जो महाकाव्य की रचना कर सकते हैं। कई उनकी रचना ‘ओमेरोज़’ को, जिसमे ट्रॉय के युद्ध की कल्पना मछुआरों के संघर्ष के रूप में कई गयी है, महाकाव्यात्मक उपलब्धि मानते हैं। ग्लेन मैक्सवेल उनकी कविता की शक्ति उसके कथ्य से अधिक उसकी कर्णप्रियता को मानते हैं। वेस्टइंडीज में एशियाई और अफ्रीकी समाज के आपस मे घुलमिल जाने की तुलना एक टूटे हुए बर्तन के टुकड़ों को जोड़ने में लगने वाले श्रम और स्नेह से करते हुए वे कहते हैं कि जब बर्तन टूटा नहीं होता तो उसकी संपूर्णता में उतनी पीड़ा उतना श्रम नही छिपा होता जितना उसके विभिन्न टुकड़ों को जोड़ने की प्रक्रिया में छिपा होता है। वे आगे कहते हैं कि ठीक यही प्रक्रिया कविता के सृजन की होती है और वे इसे सृजन न कह कर पुनर्सृजन कहते है- विखंडित स्मृतियों से। अपने एक आलेख में डेरेक वालकाट की कविता की चर्चा करते हुए प्रसिद्ध कवि जोसेफ ब्राडस्की न्यूयॉर्क रिव्यू ऑफ बुक्स में कहते हैं कि कैरेबियन द्वीपों की खोज कोलम्बस द्वारा की गई, अंग्रेजों द्वारा उन्हें उपनिवेश बनाया गया किंतु वालकाट द्वारा उन्हें अमरत्व की प्राप्ति हुई। वस्तुतः उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलने की घोषणा वर्ष 1992 में ही हुई जब कोलम्बस के कैरेबियन द्वीप पर पदार्पण की 500वीं जयंती मनायी जा रही थी। वालकाट की कविता कैरेबियाई द्वीपवासियों की आवाज़ है। वालकाट के ही शब्दों में कहें तो उनकी कृतियाँ कैरेबियाई कबीलों के होठों पर पहले ही लिखी जा चुकी हैं और उन्हें सिर्फ इन कृतियों को स्वर देने के लिए चुना गया है।
मुट्ठी
श्रीविलास सिंह |
इसके थोड़ा ढीला पड़ते ही, मैं लेता हूँ
उजाले की एक गहरी सांस,
पर तभी कस जाती है यह फिर,
मैंने कब नहीं चाहा प्रेम की पीड़ा को,
पर अब यह जा चुकी है
प्रेम से परे उन्माद तक।
यह है एक पागल की मजबूत पकड़,
स्पर्श करती अतार्किकता की हदों को,
चीत्कार करते अतल विवर्त में छलांग लगाने से पूर्व।
धीरज रखो मेरे हृदय,
कम से कम इस तरह जीवित रहोगे तुम।
***
कीर्ति
यह है कीर्ति: रविवार,
एक ख़ालीपन,
जैसा है बाल्थस में ,
पत्थर बिछी गलियाँ
सूर्यदीप्त, हवादार,
एक दीवार, एक टूटा मीनार
एक गली के अंत में
एक भद्र पुरुष बिना तामझाम के
एक मृत कैनवास की भांति
इस के सफेद फ्रेम और
फूलों के मध्य स्थित
ग्लैडियोली, टूटे
ग्लैडियोली, पत्थर की पंखुड़ियाँ
एक गुलदान में, चारणों के
अतिशयोक्ति युक्त प्रसंशा गीत
रुके हुए। एक किताब
चित्रों की खुलती
स्वयं से, आवाजें
सैंडल्स की गली में।
एक रेंगती सी घड़ी।
काम की लालसा ।
***
प्रेम के बाद प्रेम
समय आएगा
जब, तुम उत्साह से
स्वागत करोगे स्वयं के आगमन का
अपने ही द्वार, स्वयं के आईने में
और दोनों मुस्कराओगे एक दूजे के स्वागत में।
और कहोगे बैठने को। भोजन को।
तुम फिर प्रेम करोगे अजनबी को जो था तुम्हारा आत्म।
मदिरा दो। रोटी दो। वापस दो अपना हृदय
उसी को। उसी अजनबी को जिसने किया था तुम्हें प्रेम।
सारे जीवन, जिसे तुम करते रहे उपेक्षित
किसी और के लिए, और कौन जानता है तुम्हें हृदय से।
बाहर निकालो प्रेम-पत्र अलमारी से,
तस्वीरें, किसी संकट में लिखे गए मसौदे,
छील डालो अपना स्वयं का प्रतिबिंब आईने से।
बैठो। उत्सव मनाओ अपने जीवन का।
***
समुद्री अंगूर
भोर के साथ झुका हुआ वह पाल
ऊबा हुआ सा द्वीपों से,
कैरेबियाई द्वीपों को पीछे छोड़ती दो मस्तूल वाली नाव,
घर की ओर, ओडेसियस
हो शायद ईजियन में अपने घर को जाता हुआ,
पिता और पति की
लालसा, ..कच्चे अंगूरों के नीचे, मानों
व्यभिचारी ने सुना हो नौसिका1 का नाम
हर समुद्री पक्षी की चीख पुकार में।
इससे किसी को नहीं मिलेगी शांति, प्राचीन युद्ध
सनक और दायित्व के बीच,
कभी नहीं हुआ समाप्त, और रहा है वैसा ही
समुद्री यायावरों के लिए और उनके लिए भी जो अभी हैं किनारे पर
अपने जूतों में उछलते घर वापसी हेतु,
ट्रॉय की आखिरी लपट बुझी है जब से,
और महाकाय अंधे की चट्टान के वेग से उत्पन्न गर्त की
निस्सीम गहराइयों से आते
थक चुकी तरंगों के निष्कर्ष।
सांत्वना दे सकते हैं शास्त्रीय ग्रन्थ, पर वह नहीं है पर्याप्त।
1. यूनानी पौराणिक कथाओं की एक स्त्री पात्र
***
नयी दुनिया का नक्शा
मैं द्वीपों का समूह
इस वाक्य के अंत में, शुरू हो जाएगी बारिश
वर्षा के किनारे पर है, एक पाल वाली नाव
धीरे धीरे नाव की दृष्टि से ओझल हो जाएँगे द्वीप;
कुहासे में समा जाएगा एक समूची नस्ल का विश्वास
बंदरगाहों में।
समाप्त हो गया है दस वर्षीय युद्ध।
भूरे बादलों से हैं हेलेन के केश।
ट्रॉय है श्वेत राख का ढेर
बारिश में भीगते समंदर के किनारे।
बूंदों की रिमझिम तीव्र हो रही वीणा के कसे हुए तारों सी।
धुंधलाई आँखों वाला एक व्यक्ति उठाता है वर्षा को
और नोच लेता है ओडेसी की प्रथम पंक्ति।
***
अफ्रीका से एकदम भिन्न
हवा का एक झोंका छेड़ रहा है
अफ्रीका की भूरी पीली त्वचा को, किकुयू मक्खियों सा तेज
मैदान में प्रवाहित रक्त धाराओं पर आमोदरत
बिखरे हुए हैं शव स्वर्ग के चारों ओर।
चीख रहे बस मरे हुए जानवर के माँस में बजबजाते कीड़े;
“सद्भावना की आवश्यकता नहीं अलग से इन मृत लोगों को !”
आंकड़े ठहरा देते है हर चीज को तर्कसंगत, और विद्वान
चुन लेते हैं औपनिवेशिक नीति की मुख्य बातें।
बिस्तर में ही काट दिए गए श्वेत बच्चे का क्या ?
राक्षसों के लिए, बलिदान योग्य यहूदियों की भांति।
उत्पीड़कों द्वारा बुरी तरह पीटे गए लोग, टूटता है आक्रमण का सिलसिला,
आइबिस की श्वेत धूल में जिसकी चीखें गूंज रही हैं
सभ्यता के उदय से,
सूखी हुई नदी के किनारे या जानवरों से भरे मैदानों में।
जानवर द्वारा जानवर के प्रति की गयी हिंसा है
प्रकृति का नियम, पर न्यायवान मनुष्य
ढूँढता है देवत्व औरों को पीड़ा देकर।
ये चिंतित उन्मत्त जानवर, इनके युद्ध
ढोल के अकड़ चुके शव की धुन पर,
जब वह जुटाता है साहस वही स्थानीय भय
श्वेत शांति का, जो संक्रमित है मृतकों से।
एक बार फिर क्रूर आवश्यकता पोछ रही अपने हाथ
एक घृणित उद्देश्य के रुमाल से, एक बार फिर
व्यर्थ जाएगी हमारी सदाशयता, स्पेन की ही तरह
गुरिल्ला कुश्ती लड़ रहा है सुपर मैन के साथ।
मुझे पिलाया गया है विष दोनों के रक्त का,
शिराओं तक बटा हुआ मैं किस ओर जाऊँ ?
मैं जिसने शाप दिया था
उस पियक्कड़ ब्रिटिश अफसर को जिसने चुनाव किया
अफ्रीका और मेरी प्रिय अंग्रेजी भाषा में ?
दोनों के साथ किया विश्वासघात अथवा वापस किया जो उनसे पाया था ?
मैं कैसे करूँ सामना इस संहार का और रहूँ शांत ?
मैं कैसे जियूँ मुँह मोड़ कर अफ्रीका से।
***
इस रविवार के लिए एक सीख
ग्रीष्म की घास का बढ़ता आलस्य
यहाँ वहाँ नाज़ुक पतंग सी उड़ती तितलियां
प्रशंसा के शीतल पेय की आशा में
मेरे झूले से मधुर छंदों में
और कर्मकांड का कम झंझट
बस जैसे अश्वेत सेविका गुनगुनाते हुए सुखा रही हो कपड़े
किसी प्रोटेस्टेंट होसन्ना के सरल पद
जब से मैं लेटा हूँ भिन्न भिन्न चीजों के विचारों में भटकता।
यही होना चाहिए, जब मैंने सुनी नहीं चीखें
पीली चिड़ियों का शिकार करते दो छोटे बच्चों की,
जिसने तोड़ दिया मेरा व्रत पाप के विचार के साथ।
भाई बहन एक से वस्त्रों में
गंभीर कीटविज्ञानियों की भांति त्योरी चढ़ाये
छोटा चिकित्सक छेद रहा पतली आँखों को,
उकडू बैठी जैसे प्रार्थनारत हो कोई कीट
वह सिसकारियां ले रही उसके पेट से उसकी अतड़ियां निकालते हुए।
सीख वही पुरानी है। नौकरानी हटाती है
दोनों प्रतिभाओं को उनके वैज्ञानिक शौक से,
हरी फ्रॉक वाली लड़की चीखने लगती है
जैसे ही लड़खड़ाती घायल चिड़िया कोशिश करती है उड़ जाने की।
वह खुद है ग्रीष्म के प्रकाश सी
दुबली अगस्त की नीली हवा में खिले फूल सी
चिन्हित नहीं भविष्य के किसी अकथनीय दुःख के लिए।
मस्तिष्क भय से सिकुड़ जाता है भीतर की ओर
उबकाई सी आती है, हर सामान्य संकेत से।
क्रूरता की आनुवांशिकता है हर जगह,
और हर जगह ग्रीष्म की चिथड़ी हुई फ्रॉक्स,
देखो बहुत पीछे, वहाँ देखने को जहां इस चयन का जन्म हुआ।
जैसे गर्मियों की घास झूमती है हँसिये के आकार के साथ।
***
तूफ़ान के बाद
वहाँ हैं ढेर सारे द्वीप
उतने द्वीप जितने हैं तारे रात्रि में
उस वृक्ष की शाखों पर जहाँ से गिरते हैं धूमकेतु
गिरते फलों की भांति नाव के चारो ओर।
पर चीजों को गिरना चाहिए, और ऐसा था हमेशा से,
एक ओर वीनस और दूसरी ओर मार्स;
गिरो, और एक हो जाओ, जैसे यह पृथ्वी है एक
द्वीप, सितारों के द्वीपसमूह में।
मेरा पहला मित्र था समुद्र। अब है मेरा अंतिम।
मैं अब बात बंद करता हूँ। मैं काम करता हूँ, फिर पढ़ता हूँ,
बैठा मस्तूल से लटकी लालटेन के नीचे।
मैं भुलाने की कोशिश करता हूँ कि क्या थी खुशी,
और जब ऐसा हो नहीं पाता, मैं पढ़ता हूँ सितारों को।
कई बार बस मैं होता हूँ और मुलायम झाग
और नाव का तल हो जाता है एक सफेद चाँद
एक बादल को खोलता है किसी दरवाज़े की भांति, और मेरे ऊपर पड़ता प्रकाश
है एक सड़क जहाँ चाँदनी ले जा रही है मुझे घर।
शाबिन चिड़िया गाती है तुम्हारे लिए समुद्र की गहराइयों से।
***
एक शहर की आग से मौत
उस प्रचंड प्रचार द्वारा, बस चर्च को छोड़, शहर को ध्वस्त कर देने के पश्चात,
मैंने लिखी कथा तेल से, एक शहर की आग से हुई मृत्यु की;
एक मोमबत्ती के नीचे, जो रो रही थी धुएँ के आँसू,
मैं कहना चाहता था, मोम से अधिक, विश्वास के बारे में जिसे नोच दिया गया तारों की भांति।
दिन भर मैं चलता रहा खंडहर हुई कहानियों के बीच,
अचंभित होता हर उस दीवार पर जो खड़ी थी शहर में किसी झूठे की तरह,
आकाश में तेज था चिड़ियों का शोर, और बादलों के गट्ठर थे
चिथड़े हो चुके लूट के कारण, और सफेद, आग के बावजूद।
धुआँ धुआँ समुद्र के किनारे, जहाँ चले थे यीशु, मैं ने पूछा,
किसी मनुष्य को क्यों बहाने चाहिए आँसू, जब गिर रहा हो उसका लकड़ी का संसार?
नगर में, पत्तियां थी, पृष्ठ पर पहाड़ियां थी, विश्वास की संगत में;
एक बालक के लिए, जो चलता रहा है सारा दिन, हर पत्ती है एक हरित सांस,
पुनर्निमाण प्रेम का, जिसे मैंने सोचा था मृत किसी कील की भांति,
अशीषते मृत्यु को और आग से करने को धर्मशुद्धि।
***
अंधेरा अगस्त
इतनी वर्षा, इतना जीवन इस काले अगस्त के
उमड़े हुए आकाश की भांति। मेरा भाई, सूर्य, सोचता है अपने पीले कमरे में पर आता नहीं बाहर।
सब कुछ जा रहा है नर्क में, धुआँ छोड़ रहे पर्वत
किसी केतली की तरह, आप्लावित हैं नदियाँ, फिर भी
वह नहीं उगेगा और नहीं रोकेगा वर्षा को।
वह है अपने कक्ष में, खेलता हुआ पुरानी चीजों से,
मेरी कविताओं से, पलटता हुआ अपनी एलबम के पन्ने। तब भी जब होता है तड़ितपात
जैसे टकराई हों थालियां आसमान में।
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