अनुनाद

अनुनाद

चार्ल्‍स बुकोवस्‍की की कविताएं/ अनुवाद एवं प्रस्‍तुति – योगेश ध्‍यानी             

   

    Bluebird (नीला पक्षी)   

मेरे दिल में एक नीला पक्षी है जो बाहर निकलना चाहता है

किन्तु मैं उसके लिए बहुत कठोर हूँ
मैं कहता हूं, वहीं रहो, मैं किसी और को तुम्हें देखने नहीं दूंगा।

मेरे दिल में एक नीला पक्षी है जो बाहर निकलना चाहता है
किन्तु मैं उस पर व्हिस्की उड़ेलता हूं और सिगरेट का धुआं खींचता हूं
और वैश्याएं और बार टेंडर और किराने के मुंशी कभी नहीं जान पाते
कि वह वहाँ भीतर है।

मेरे दिल में एक नीला पक्षी है जो बाहर निकलना चाहता है
किंतु मैं उसके लिए बहुत कठोर हूँ
मैं कहता हूं, नीचे रहो
क्या तुम मुझे बर्बाद करना चाहते हो?
सारे कामों को बिगाड़ना चाहते हो?
तुम यूरोप में मेरी किताबों की बिक्री ठप करवाना चाहते हो?

मेरे दिल में एक नीला पक्षी है जो बाहर निकलना चाहता है
किंतु मैं बहुत चालाक हूँ
मैं उसे कभी-कभी सिर्फ़  रात में बाहर निकलने देता हूं
जब हर कोई सो रहा होता है,
मैं कहता हूं मुझे पता है तुम हो
इसलिए उदास मत हो।

फिर मैं उसे भीतर कर देता हूँ
लेकिन वह वहां गुनगुनाता रहता है
मैंने उसे मरने नहीं दिया है
और हम इसी तरह अपने रहस्य के साथ, एक साथ सोते हैं
और यह एक आदमी को रोने देने के लिये पर्याप्त है
लेकिन मैं रोता नहीं हूं
क्या तुम रोते हो?

 
1. मूल कविता का लिंक
https://www.poemhunter.com/poem/bluebird/  

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      A Smile to Remember (एक याद रखने वाली मुस्‍कान)     

हमारे पास गोल्डफिश थीं
जो खिड़की के पास रखी मेज पर
एक बर्तन में गोल-गोल घूमती थीं
मेरी माँ, जो हमेशा मुस्कुराती रहती थी और हमें खुश देखना चाहती थी
मुझसे कहती,”खुश रहो, हेनरी”

और वो सही थी: खुश रहना अच्छा है अगर हम र सकें
लेकिन मेरे पिता ने अपने 6 फीट 2 के ढांचे में गुस्साते हुए
माँ और मुझे हफ्ते में कई बार पीटना जारी रखा
क्योंकि वह समझ नहीं सकते थे कि कौन सी चीज उन्हें अन्दर से कष्ट पंहुचा रही थी

मेरी माँ, बिचारी मछली,
खुश होना चाहते हुए, हफ्ते में दो-तीन बार पीटे जाने के बाद,
मुझे खुश होने को कहती:” हेनरी हंसो! तुम कभी हंसते क्यों नहीं ?”

और फिर वो हंसती, मुझे दिखाने के लिए कि कैसे हंसते हैं
और वह हंसी मेरे द्वारा कभी भी देखी हुई
सबसे उदास हंसी थी

एक दिन पांचों गोल्डफिश मर गईं
वे पानी पर तैर रही थीं, बर्तन के किनारों पर,
उनकी आंखें खुली हुई थीं,
और जब मेरे पिता घर लौटे, उन्होंने उन्हें रसोई की फर्श पर बिल्ली के सामने फेंक दिया
और हम यह सब देख रहे थे जबकि मां मुस्कुरा रही थी।

 
2. मूल कविता का लिंक
https://www.poemhunter.com/poem/a-smile-to-remember/    

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       Alone with Everybody(सबके साथ एकाकी)   

मांस हड्डियों को ढकता है
और वहाँ भीतर एक मस्तिष्क रख दिया जाता है
और कभी-कभी एक आत्मा,

स्त्रियाँ दीवार पर गुलदान फोड़ती हैं
और पुरुष बहुत ज्यादा पीते हैं
और किसी को भी वह एक नहीं मिलता
लेकिन बिस्तर पर अन्दर बाहर घिसटते हुए
वे उस एक को ढूंढते रहते हैं

मांस हड्डियों को ढकता है
और मांस किसी ऐसे को ढूंढता है
जो मांस से कुछ अधिक हो

लेकिन ऐसा कोई अवसर कतई संभव नहीं
हम सब एक ही भाग्य में फंसे हुए हैं

किसी को भी वह एक कभी नहीं मिलता
शहर की खाली जगहें भरती हैं
कूड़ा घर भरते हैं
पागल खाने भरते हैं
अस्पताल करते हैं
शमशान भरते हैं

और इस सबके अलावा
और कुछ नहीं भरता।

 
3. मूल कविता का लिंक
https://www.poemhunter.com/poem/alone-with-everybody/  

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     The Genius of the Crowd (भीड़ की विशिष्‍टता   

 

  

विश्वासघात, घृणा, हिंसा, विसंगति
औसत इंसान के भीतर पर्याप्त मात्रा में हैं
इतना कि दुनिया की किसी भी सेना की
किसी भी दिन की जरूरत को पूरा किया जा सके

हत्या में सबसे कुशल वो हैं जो हत्या के विरुद्ध उपदेश देते हैं
घृणा में सबसे कुशल वो जो प्रेम का उपदेश देते हैं
और अन्ततः युद्ध में सबसे कुशल वो हैं जो शांति का उपदेश देते हैं

वो जो ईश्वर को प्रचारित करते हैं उन्हें ईश्वर की ज़रूरत है
जो शांति की बात करते हैं वो अशांत हैं
जो प्रेम का उपदेश देते हैं उनके पास प्रेम नहीं है

उपदेशकों से सावधान रहो
ज्ञानियों से सावधान रहो
जो लगातार किताबें पढ़ रहे हैं उनसे सावधान रहो
सावधान रहो उनसे जो गरीबी को कोसते हैं या उसमें गर्व महसूस करते हैं
जल्द प्रशंसा करने वालों से रहो सावधान
क्योंकि वे बदले में प्रशंसा चाहते हैं
जो बात काट रहे हैं उनसे सावधान
वो उन बातों से खौफ खा रहे हैं जिन्हें वो नहीं जानते
जो लगातार भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं उनसे सावधान क्योंकि भीड़ से अलग उनका कोई वजूद नहीं
सावधान रहो औसत आदमी, औसत औरत से
उनके प्रेम से भी रहो सावधान
उनका प्रेम औसत है जो औसत की चाह रखता है

लेकिन उनकी घृणा विशिष्ट है
उसमें तुम्हें मार देने की, किसी को भी खत्म कर देने की क्षमता है
एकाकीपन को न समझते हुए
वे हर उस चीज को नष्ट करने की कोशिश करेंगे
जो उनसे अलग है
कला को रचने में असफल वे लोग कला को नहीं समझेंगे वे अपनी असफलताओं को सर्जक की नाकामयाबी की तरह देखेंगे
देखेंगे संसार की नाकामयाबी की तरह 
प्रेम कर पाने में अक्षम वे लोग
तुम्हारे प्रेम को अधूरा मानेंगे
और तब वे तुमसे घृणा करेंगे
और उनकी वह घृणा त्रुटिहीन होगी

एक चमकते हीरे की तरह
एक चाकू की तरह
एक पर्वत की तरह
एक चीते की तरह
हेमलोक की तरह होगी

उनकी सबसे अच्छी कला।


4. मूल कविता का लिंक
https://www.poemhunter.com/poem/the-genius-of-the-crowd/   

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