अनुनाद

सलगादो मारंय्यों की कविताएँ/अनुवाद एवं प्रस्‍तुति : शुभा द्विवेदी

  1   


मैं दुल्की चाल से चलते हुए घर पहुँचता हूँ
घंटों के उपरांत
मेरे अतीत के बियाबान के

एकमात्र आश्रय स्थल पर मैं लौटता हूँ

पगडंडियों की पहचान करते हुए,
अपने स्वप्नों की इबारत को ध्यान में रख कर
सूर्यास्त की वीणा के स्वरों को गुनते हुए

मेरा अस्तित्व उस “मैं” से पहले है
जो हरे प्याज़ की पत्तियाँ खाता है
और दूसरा वो जो छिप जाता है
बिजली की गड़गड़ाहट के दौरान

और मैं पूरी क्षमता के साथ अनुसरण करता हूँ
उसका, जो विस्थापित हुआ है
आने वाले कल के अतीत में
मानो मैं जागता रहा हूँ
मरीचिकाओं की भूमि में

बेनाम शहर मेरे पोरों से फूटते हैं
गुमनाम रास्ते अभी भी मेरे जूतों से लिपटे हुए हैं
बहुत सारी दूसरी पहचानों को इख़्तियार करके
मैं वापस वो नहीं बन सकता जो मैं पहले था।
*** 

 

   2   


अपनी छुरी से किसी के चेहरे को सहलाना एक सामान्य बात थी। क्रोध के आवेश में क्रूरता का अनुष्ठान होता है जिसकी शुरूआत बहुत गहरे अधोलोक में होती है। मैं उस सूखे वसंती गुलाब को यत्नपूर्वक सँजो कर रखता हूँ जैसे मैंने ही उसकी कल्पना की थी। उन पुरा पिताओं से मुक्त हो कर, जो अभी भी, निश्चित रूप से मेरे भीतर निवासस्थ हैं। बावजूद उस ओढ़ी हुई देसज शैली के जो मुझे अत्याधुनिक बनाता है। लैम्प की रोशनी में गेटे के सान्निध्य के बाद भी।

***

   3     

 

कीचड़ में पदचिह्नों के भ्रामक जाल से निःसृत
वह आदिम अप्रैल
स्मृतियों में गहरे अवस्थित
और अनेक आश्चर्यों का जनक
एक जुनून
एक मिठास
जिसकी परिणति दर्द में होती है
एक प्यास जिसकी बमुश्किल अभिव्यक्ति हुई;वह
नीला रंग

रहस्यमयता से पूर्ण

भीतर तक सिमटा हुआ मैं बाहर आया
झाड़ियों को लाँघता हुआ और तमाम वर्जनाओं

को विस्मृत करता हुआ
नये पथ खोजने का जोखिम उठाता हुआ
न तो पत्थर
न ही हवा
मेरी फ़ितरतें पूर्व धारणाओं से टकराती हैं
मानचित्रों और लंबे समय से विलुप्त

पगडंडियों के दरमियान। 

***

( “मैपिंग द ट्राइब” कविता संग्रह से, 2020)

मूल कविताएँः सलगादो मारंय्यों

अंग्रेज़ी अनुवादः ऐलिक्सिस लेविटिन

 

 

 

 

 

 

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