गॉंव की औरतें
दौर भले हो
ग्लोबल विलेज का
पर अब भी
भोली हैं
गांव की औरतें
शहर की औरतों से
भिन्न होती हैं
उनकी ज़रूरतें
उन्हें घर में
मोटर कार होने से ज़्यादा
फसल तैयार होने की
रहती है चिंता
उन्हें पता होता है
चाची, मौसी
और पड़ोसी भी
संवेदना की संजीवनी भी
होती है अगाध
जीवन चलता रहता है
बिना रूके
निरंतर,अबाध…
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मज़दूर
मज़दूर जब उठाता है टोकरी
तो इस तरह उठा लेता है
देश के बोझ को
अपने माथे पर
वह जब खोदता है कुआं
तो बुझा जाता है देश की
प्यास को
वह चलता है तो देश चलता है
उसका हर क़दम बढ़ाता है
देश को सौ क़दम आगे
देश का जीवन-तार
जुड़ा होता है
मज़दूर के जीवन-तारों से
इसलिए
उसका निरंतर चलना ज़रूरी है
उसका इस तरह चलना ही
देश का चलना होता है
और बैठना ! देश का बैठ जाना,,,
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मॉर्निंग वॉक
मज़दूर जब सो कर उठता है
तो नहीं जाता है
मॉर्निंग वॉक पर
वह नहीं बहाता है
ख़ामख़्वाह पसीना
उसे पता होता है पसीने की
हरेक बूंद की कीमत
उसके बहे पसीने से
निर्मित होती आई हैं
बड़ी-बड़ी इमारतें
लंबी – लंबी सड़कें
और क्या-क्या नहीं!
इसलिए वह
वहीं बहाता है पसीना
जहां से संभव होता है
उसका जीना
और देश का भी
होता है चौड़ा सीना
मज़दूर के पसीने का
बहना ही
उसका सबसे बड़ा
गहना है!
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