आशियाना/ पूजा गुप्ता
आनन-फानन में रामेश्वरी ने अपना सामान बांध लिया और चलने को तैयार भी हो गई। गुस्से की इन्तहा इतनी थी कि
आनन-फानन में रामेश्वरी ने अपना सामान बांध लिया और चलने को तैयार भी हो गई। गुस्से की इन्तहा इतनी थी कि
बाईं तरफ करवट ली हुई, बायां हाथ सिरहाने-सा रखा हुआ, और घुटने पेट तक मुड़े हुए। शरीर अकड़ चुका था।
पानी “यूँ एक टक क्या आकाश को ताक रहे हो?” “नहीं, बादलों को!” “मगर आकाश तो एक दम
बिली वीवर लंदन से अपराह्न वाली धीमी गति की रेलगाड़ी से, रास्ते में स्विंडन में गाड़ी बदलता हुआ, यात्रा करके आया
प्रतिभा गोटीवाले हिन्दी की सुपरिचित कवि- कहानीकार हैं। स्मृतियों के रंग की शिनाख़्त और विस्मृतियों के रंग की तलाश करती उनकी
अनामिका अनु हिन्दी की सुपरिचित कवि हैं। इधर उन्होंने कहानियॉं भी लिखी हैं। हंस में पूर्वप्रकाशित उनकी दो कहानियॉं हम