अशोक कुमार पांडेय की नई कविता – न्याय
अशोक इस बार न्याय की दस कविताओं के साथ उपस्थित है। गो उसकी हर कविता मनुष्यता के पक्ष में न्याय की
अशोक इस बार न्याय की दस कविताओं के साथ उपस्थित है। गो उसकी हर कविता मनुष्यता के पक्ष में न्याय की
ये ऐसे समय की कविता है जब मारे दिए जाने के लिए जन्म लेना भर काफ़ी होता है। समकाल की कड़ी
ये गिरिराज किराड़ू के साथ-साथ ‘मीर के अब्बू’ की भी कविताएं हैं, यानी आदमी हो रहे दरख़्त की। इन्होंने गिरिराज किराड़ू
मैंने दो पोस्ट पहले थकान और कुछ निजी वजहों से अनुनाद पर गतिविधियों के शिथिल रहने की बात कही थी, मेरा
के पी सिंह नामक एक सज्जन ने मुझे आठ कविता वालपेपर अपनी इस टिप्पणी के साथ भेजे हैं – ”इस तरह
अँधेरे के वे लोग अँधेरे में छिपे वे लोग कभी दिखते नहीं दिन के उजालों में भी अदृश्य वे सड़क
आज साथी कवि तुषारधवल का जन्मदिन है और अनुनाद इस मौके पर उनकी चर्चित कविता काला राक्षस का पुनर्प्रकाशन कर रहा
कविता का नियमित पाठक और कार्यकर्ता होने के नाते मैं कहना चाहता हूं कि युवा कवि नित्यानन्द गायेन की कविताओं ने
साथी कवि अशोक कुमार पांडेय ने अपने पहले संग्रह ‘लगभग अनामंत्रित’ के बाद कहन का रूप कुछ बदला है। उसकी कविता
सुषमा नैथानी की कविताएं लम्बे अंतराल के बाद अनुनाद पर आ रही हैं। वे उन कवियों में हैं, जिन्हें अनुनाद उपलब्धि