संदीप रावत की कविताएं
मेरे प्रिय छात्र अनिल कार्की की वजह से मेरा ध्यान फेसबुक पर संदीप रावत की कविताओं की ओर गया। मैं उनके
मेरे प्रिय छात्र अनिल कार्की की वजह से मेरा ध्यान फेसबुक पर संदीप रावत की कविताओं की ओर गया। मैं उनके
मृत्युजंय बहुत अलग-अलग शिल्पों में कविता सम्भव करने वाले अद्भुत युवा कवि हैं। वे भरपूर राजनीतिक हैं, उनकी कविता के उद्देश्य
अनुनाद पर निरन्तर काम करते रहने का सुफल कभी-कभी यूं भी मिलता है जैसे मेरे प्रिय कविमित्र आशुतोष दुबे ने अपनी
विजय सिंह अपनी उत्कट लोक प्रतिबद्धता के कारण हिंदी कविता में एक सुपरिचित नाम हैं। उन्हें लिखते कई बरस हुए। उनके
कमाल सुरेया (1931-1990) एक दिन स्त्री चल देती है चुपचाप …दबे पाँव कोई स्त्री रिश्तों को निभाने में सहती है बहुत
गिरिराज के यहां कविता एक नाज़ुक विषय है, गो वो अकसर ख़ुद को कठोर कवि कहता पाया जाता है। मैंने पहले
बहुत उम्मीद जगाने, भरोसा बढ़ाने वाले युवा कवि-साथियों में अच्युतानन्द मिश्र का नाम ख़ास तौर पर लिया जाना चाहिए। अनुनाद को
बातों का पुलिंदा सब सच नहीं है, अभिलेखागार के कागजों में, प्रमाण सिर्फ कागज़ का होना है, उसकी बातों का सच
अशोक कुमार पांडेय की ये कविता कल मिली….कई बार पढ़ी। जब कविता अर्थ से अभिप्रायों में चली जाती है तो उसे
कमल जीत चौधरी मेरे इंतज़ारों की कविता – अब तक इस वाक्य का प्रयोग कुछ चुनिन्दा अग्रजों की कवियों की कविता