वन्दना शुक्ल की कविताएं
भोपालवासी कवि-कहानीकार और संगीतज्ञ वन्दना शुक्ल की कविताएं समकालीन स्त्री मुहावरे से बाहर निकलने/होने की जिद से भरी नहीं, बल्कि उसके
भोपालवासी कवि-कहानीकार और संगीतज्ञ वन्दना शुक्ल की कविताएं समकालीन स्त्री मुहावरे से बाहर निकलने/होने की जिद से भरी नहीं, बल्कि उसके
मनोज कुमार झा से कविताओं के लिए अनुनाद ने अनुरोध किया था और दो महीने का इन्तज़ार भी। अनुनाद पर अप्रकाशित
श्रीकांत दुबे कविता और कहानी के प्रदेश में श्रीकान्त दुबे हमारे ख़ूब जाने-पहचाने प्रतिभावान युवासाथी हैं । मेरी श्रीकांत से एक छोटी-सी
प्रशान्त प्रशान्त मेरे लिए परिचित कवि नहीं रहे हैं अब तक। कुछ कविताएं मैंने ब्लागपत्रिकाओं में पढ़ी हैं। उनकी यह लम्बी
हिंदी कविता की परम्परा में बहुत समर्थ और विचार के लिए अत्यन्त स्वप्नशील कवियों ने भी जीवन में कभी न कभी
अपने रचनात्मक सहयोग के साथ यादवेन्द्र अनुनाद के सबसे निकट के साथी हैं। वे हमारी अनुनाद मंडली के सबसे वरिष्ठ साथी
तुषार धवल तुषार हमारे समय का बहुत महत्वपूर्ण युवा कवि है। वो बेहद आत्मीय हमउम्र साथी है इसलिए चाहकर भी मैं
वंदना शुक्ला वंदना शुक्ला की ये कविताएं मुझे उनके मेल द्वारा मिलीं। इन कविताओं की कवि हिंदी के आभासी संसार
मोनिका कुमार: फोटो जानकीपुल से मोनिका कुमार हिंदी के लिए बहुत नई कवि हैं। मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में अभी उनकी कविताएं शायद
मैंने यह पोस्ट बहुत पहले कबाड़खाना पर लगाई थी। इधर ‘कल के लिए’ का अदम विशेषांक पढ़ते हुए मुझे इस कविता