गैरसैंण – अमित श्रीवास्तव की नई कविता
यह पहाड़ पर बुझी हुई लालटेन की तरह टंगी एक जगह है, जो राज्य स्थापना के बाद से ही बाट जोह रही है कि उसे
यह पहाड़ पर बुझी हुई लालटेन की तरह टंगी एक जगह है, जो राज्य स्थापना के बाद से ही बाट जोह रही है कि उसे
“ पंडित शाङ्ग॔देव द्वारा वर्णित उत्तम वाग्गेयकार के रूप में पंडित कुमार गन्धर्व का स्थान ” १३ वीं शताब्दी में पं शाङ्ग॔देव द्वारा
कविता में जब नई आवाज़ें शामिल होती हैं तो यह उन आवाज़ाें के औपचारिक स्वागत से ज़्यादा कविता के मौजूदा स्वरूप को खंगालने का मौका
बहुत दिनों बाद अनुनाद पर एक साथ इतनी कविताएं लग रही हैं। यह उपहार हमें मिला है हमारे समय के महत्वपूर्ण कवि अरुण शीतांश की
टॉड मार्शल की कविता कोर्ट …….. वादी के साथ लम्बे रिश्ते का संज्ञान लेती है और पूरी नेकनीयती के साथ विश्वास करती है कि
हर मनुष्य के जीवन में कोई एक शहर-क़स्बा-गांव सूर्य या फिर दीपक की तरह होता है, वह छूट जाता है पर जीवन भर हर दिन
रेखा चमोली उन नई कवियों में हैं, जिन्हें हम इस यक़ीन के साथ पढ़ते हैं कि वे हमारे सामाजिक जीवन के संघर्षों और विद्रूपों को
एक टीस, एक लहर…. जो अभी उठनी शुरू हुई है…और ऊंची उठती जाएगी…. यह कविता अनुप्रिया देवताले ने शेयर की है। वीडियो परिकल्पना रुचिता तिवारी
प्रार्थना बच्चे स्कूल में इस समय कतार में खड़े हो गए हैं गा रहे हैं प्रार्थना जो बच्चे इस वक्त स्कूल में नहीं हैं जरूर
‘आक्रोश को अपना यू.एस.पी. नहीं बनाना चाहिए.’ – – वीरेन डंगवाल यह कथन वीरेन डंगवाल की स्मृति में पहल से आयी पंकज चतुर्वेदी की पुस्तक