अनुनाद

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यहां कविता में पुराने छंद चाहे न आ रहे हों किन्तु उन छंदों की लय आज भी बची हुई है – वरिष्ठ आलोचक जीवन सिंह से महेश पुनेठा की बातचीत/3

                                      महेश चंद्र पुनेठा – आप कविता के केंद्र में मनुष्य भाव को मानते हैं.कविता ही मनुष्य भाव की रक्षा करती है.यह अच्छी कविता

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ईरानी कवयित्री और ऐक्टिविस्ट नसरीन परवाज़ की कविता : अनुवाद और प्रस्तुति – यादवेन्द्र

ईरानी कवियित्री और ऐक्टिविस्ट नसरीन परवाज़ जेल की सज़ा भुगत चुकी हैं। मानव त्रासदी कितनी कितनी विकट होती है, फिर भी साधारण लोग अपने conviction

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वर्तमान सन्दर्भ में उत्तरभारतीय तालों का व्यावहारिक स्वरूप: एकअध्ययन

वर्तमान सन्दर्भ में उत्तर भारतीय तालों का व्यावहारिक स्वरूप: एकअध्ययन श्रीमती ललिता, शोधार्थिनी, संगीत विभाग, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल डा०रेखा साह, असिस्टेन्ट प्रोफेसर, संगीत विभाग, कुमाऊँ

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मुक्तिबोध मेहनतकश की आजादी के पक्षधर हैं : वरिष्ठ आलोचक जीवन सिंह से कवि महेश पुनेठा की बातचीत/2

                           महेश चंद्र पुनेठा- मुक्तिबोध के समय बहुत सारे आधुनिकतावादी कवि यह कहते हुए पाए जाते थे कि जनवाद,समाजवाद भीड़ की मनोवृति के परिचायक हैं।

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यहां लोक की बहुत ऊपरी और सतही समझ से काम नहीं चल सकता – आलोचक जीवन सिंह से कवि महेश पुनेठा की बातचीत/1

(वरिष्ठ आलोचक जीवन सिंह और सुपरिचित कवि महेश पुुनेठा की यह महत्वपूर्ण बातचीत चार खंडों में अनुनाद पर आएगी। अनुनाद इस सहयोग के लिए महेश

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नरेश सक्सेना की कविता : कत्लगाहों की तरफ़ फुसलाते शब्द -आशीष मिश्र

ठंड से नहीं मरते शब्द  वे मर जाते हैं साहस की कमी से  केदारनाथ सिंह के इन शब्दों को आलोचना के सन्दर्भ में देखना रोचक

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