गिरिराज किराडू की कविताएँ
अनुनाद के भले दिन लगे हैं। मनोज के बाद अब हमें गिरिराज की कविताएँ मिली हैं। एक आम शिकायत है कि
अनुनाद के भले दिन लगे हैं। मनोज के बाद अब हमें गिरिराज की कविताएँ मिली हैं। एक आम शिकायत है कि
मुझे बस उत्सव में शामिल कर लो तस्वीर और वक्तव्य प्रतिलिपि से साभार बाँसक ओधि उखाड़ि करै छी जारनि हमर दिन
यह नौजवान साथी प्रगतिशील हिंदी कविता की परंपरा से जीवनद्रव खींचता हुआ हमारे समय की कविता लिख रहा है। बिहार की
अब्बास कैरोस्तामी की ही एक और फिल्म है विंड विल कैरी अस, जो आधुनिक फारसी कविता की बेहद महत्वपूर्ण स्तम्भ फ़रोग
अब्बास कैरोस्तोमी आधुनिक ईरानी सिनेमा के शिखर पुरुष माने जाते हैं,इतना ही नहीं सिनेमा विशेषज्ञ उन्हें आज दुनिया के दस सर्व
वे दुखों में लिथड़ी हैंऔर प्रेम में पगीदिन-दिन भर खटीं किसी निरर्थक जांगर मेंबिना किसी प्रतिदान केरात-रात भर जगीं उनके बीच
दुखांत मेरे लिए दुखांत नाटक का सबसे मार्मिक हिस्साइसका छठा अंक है जब मंच के रणक्षेत्र में मुर्दे उठ खड़े होते
कविता की किताबकल की सुबह के बारे में कल वाले कल के पहले वाले कल ही सोच लिया जाना चाहिए यह
यह मेरे पिता की कविता है, कमाल की बात ये कि इसे उन्होंने 63 वर्ष की उम्र में लिखा है। उनके
1 हवा है एक अंधी माँ लाशों के ऊपर सेलड़खड़ाती गुज़रती कफ़न भी नहींबादलों को बचाओ तो सही मगर कुत्ते हैं