बख्तियार वहाब्ज़ादे : अनुवाद एवं प्रस्तुति- यादवेन्द्र
१९२५ में जन्मे बख्तियार वहाब्ज़ादे अजरबैजान के सबसे प्रसिद्द कवियों में शुमार किये जाते हैं.अजरबैजान की आज़ादी के लिए सोविएत संघ
१९२५ में जन्मे बख्तियार वहाब्ज़ादे अजरबैजान के सबसे प्रसिद्द कवियों में शुमार किये जाते हैं.अजरबैजान की आज़ादी के लिए सोविएत संघ
सीता नहीं मैं तुम्हारे साथ वन-वन भटकूँगीकंद मूल खाऊँगीसहूँगी वर्षा आतप सुख-दुखतुम्हारी कहाऊँगीपर सीता नहीं मैंधरती में नहीं समाऊँगी। तुम्हारे सब
नवनीता देवसेन राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाषा और साहित्य के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित और आदरणीय नाम है. यह उनकी जबर्दस्त बहुआयामी
इस पोस्ट के साथ प्रतिभा कटियार अनुनाद की टीम का हिस्सा बन रही हैं। अनुनाद परिवार की ओर से मैं उनका
अनुवाद एवं प्रस्तुति : यादवेन्द्र तुर्की के विश्व प्रसिद्द कवि नाज़िम हिक़मत की ये बेहद चर्चित युद्ध विरोधी कविता हिरोशिमा पर
कुबेरदत्त समकालीन हिन्दी कविता के एक सुपरिचित और आत्मीय सहभागी है। उन्होंने दूरदर्शन के लिए लगातार साहित्य के कई ऐसे कार्यक्रम
दहशत पारे सी चमक रही है वह मुस्कुराते हुए होंठों के उस हलके दबे कोर को देखो जहाँ से रिस रही
१९६२ में अल्बानिया की राजधानी तिराना में जनमी रीता पेत्रो स्टालिन कालीन साम्यवादी पाबंदियों से मुक्त हुए अल्बानिया की नयी पीढ़ी
चम्बा की धूप ——– ठहरो भाई, धूप अभी आएगी इतने आतुर क्यों हो आखिर यह चम्बा की धूप है- एक पहाड़ी
गर हुए खुशकिस्मत इस जहाँ में हमयुद्ध के मैदान में एक खिड़की आ खड़ी होगी दो सेनाओं के बीच और जब