आ रहा हूँ तुमसे मिलने – साठ के विमल कुमार
अग्रज कृष्ण कल्पित ने आज कहीं लिखा है कि युवा कवि विमल कुमार साठ के हो गए। एकबारगी परिहास-सी लगती यह
अग्रज कृष्ण कल्पित ने आज कहीं लिखा है कि युवा कवि विमल कुमार साठ के हो गए। एकबारगी परिहास-सी लगती यह
एक वाक्य में कविता की परिभाषा ! अच्छा, ठीक है. हम कम से कम पांच सौ परिभाषाएं जानते हैं लेकिन उनमें
अनुनाद पर पहली बार प्रकाशित हो रहे कवि राजीव कुमार इतिहास और हिंदी साहित्य के छात्र रहे। “इंडियाज़ इस्लामिक कंसर्न” पर
विष्णु खरे की दूसरी पुण्यतिथि है। किसी भी दौर में भाषा और समाज की कविता समग्रता में केवल एक कवि की
राकेश मिश्र जी की कविताओं में गाँव है, वहां की पगडंडी है, प्रकृति है, प्रेम है, आम आदमी और मेहनतकशों के प्रति गहरी संवेदना
मंजू यादव हैदराबाद में विदेशी भाषा विश्वविद्यालय से स्पैनिश में परास्नातक कर रही हैं। अनुनाद ने उनसे स्पैनिश मूल से कुछ
सुलोचना की कविता मनुष्यता को किनारों पर खड़ी पुकारती भर नहीं रहती, वह उस उत्सव और शोक में शामिल हो जाती
कवि ने कहा मुझे लगता है कि जब चोर, संभ्रांत और सिपाही की भाषा बोलने लग जाए या संभ्रांत
आत्मकथ्य खुद को कवि कहने का साहस और कवि होने की जिम्मेदारी दोनों का खुद के अंदर नितांत अभाव पाता हूँ.
आशंकाओं के बीच आशा कल्पना और सपनों से परे ये कविताएं निखालिस आज की हैं। ये कविताएं अपने समय