सहूलियात के विरुद्ध अदावतों के इलाक़ों में – विष्णु खरे (दूसरे स्मृति-दिवस पर विशेष) – सौजन्य : कुमार अम्बुज
विष्णु खरे की दूसरी पुण्यतिथि है। किसी भी दौर में भाषा और समाज की कविता समग्रता में केवल एक कवि की
विष्णु खरे की दूसरी पुण्यतिथि है। किसी भी दौर में भाषा और समाज की कविता समग्रता में केवल एक कवि की
राकेश मिश्र जी की कविताओं में गाँव है, वहां की पगडंडी है, प्रकृति है, प्रेम है, आम आदमी और मेहनतकशों के प्रति गहरी संवेदना
मंजू यादव हैदराबाद में विदेशी भाषा विश्वविद्यालय से स्पैनिश में परास्नातक कर रही हैं। अनुनाद ने उनसे स्पैनिश मूल से कुछ
सुलोचना की कविता मनुष्यता को किनारों पर खड़ी पुकारती भर नहीं रहती, वह उस उत्सव और शोक में शामिल हो जाती
कवि ने कहा मुझे लगता है कि जब चोर, संभ्रांत और सिपाही की भाषा बोलने लग जाए या संभ्रांत
आत्मकथ्य खुद को कवि कहने का साहस और कवि होने की जिम्मेदारी दोनों का खुद के अंदर नितांत अभाव पाता हूँ.
आशंकाओं के बीच आशा कल्पना और सपनों से परे ये कविताएं निखालिस आज की हैं। ये कविताएं अपने समय
मैं देखता हूँ कि लोग बहुत अलग-अलग तरह का जीवन जीते हुए कविताऍं लिखते हैं या लिखने की कोशिश करते हैं।
विख्यात बॉंग्ला लेखिका तस्लीमा नसरीन का आज जन्मदिन है। इस अवसर पर हम उनकी तीन कविताऍं बधाई और शुभकामनाओं के साथ
कवि ने कहा वस्तुतः लेखक होने से पहले मैं स्वयं को एक सजग पाठक के रूप