जो संताप इन दिनों में भोगा है – शचीन्द्र आर्य की कविताऍं
कवि का कथन जिन्हें भी अपनी कविताएँ कह रहा हूँ, वह मेरे भीतर से बाहर और बाहर से भीतर
कवि का कथन जिन्हें भी अपनी कविताएँ कह रहा हूँ, वह मेरे भीतर से बाहर और बाहर से भीतर
अरुण शीतांश जाने-पहचाने कवि हैं। उनके महत्वपूर्ण रचनात्मक और आलोचनात्मक हस्तक्षेप हिन्दी संसार में संवाद की शिनाख़्त की तरह देखे गए
कवि का कथन मेरा मानना है कि साहित्य स्वयं का , अपने परिवेश के मूल्यांकन और पुनः मूल्यांकन का आधार देती
कवि का कथन कविता मेरे लिए अपने भीतर के उस बच्चे को स्वर देने का प्लेटफार्म है, जिसने एक अलग-
कितनी अलग-अलग आवाज़ें इस बीच हिन्दी कविता को मिली हैं, यह देखना सुखद है। अहिन्दी प्रदेशों में हिन्दी की कविता के
इधर दुनिया भर में मची गड़बड़ और ख़राबे के बीच भी भाषा और कविता में साहित्य की राजनीति के पुराने पत्ते
समकालीन हिन्दी कविता की अन्तर्धारा में प्रदीप सैनी सदा ही धैर्य और संयम के साथ रचनारत दिखायी दिए हैं। अनुनाद को
गणेश गनी सुपरिचित कवि हैं। वे पारखी सम्पादक और संवादी समीक्षक भी हैं। उनकी आठ कविताऍं अनुनाद को मिली हैं। कविता
मनोज शर्मा हिन्दी के सुपरिचित कवि और संस्कृतिकर्मी हैं। जम्मू में उनका रचनात्मक रहवास शुरूआती तौर पर कविता में एक स्थनीयता
सोनी पाण्डेय ने पिछले कुछ वर्षों में कविता के पाठकों में सम्मान अर्जित किया है। वे आम हिन्दुस्तानी स्त्री के संसार