पाब्लो नेरुदा की दो अद्भुत कविताएँ – अनुवाद : मंगलेश डबराल
तस्वीर यहाँ से साभार सीधी-सी बातशक्ति होती है मौन ( पेड़ कहते हैं मुझसे )और गहराई भी ( कहती हैं जड़ें )और पवित्रता भी (
तस्वीर यहाँ से साभार सीधी-सी बातशक्ति होती है मौन ( पेड़ कहते हैं मुझसे )और गहराई भी ( कहती हैं जड़ें )और पवित्रता भी (
सीमा यारी की एक प्रेमकविता यादवेन्द्र जी पहले अनुनाद पर लगा चुके हैं। आज प्रस्तुत हैं कुछ और कविताएं। अनुवाद यादवेन्द्र जी का ही है।
कपिल देव हिन्दी के सुपरिचित आलोचक-समीक्षक हैं। उन्होंने हमें ये कविता भेजी है, जिसके बारे में उनका कहना है कि ये कहीं भी छपने वाली
आज पाब्लो नेरुदा का जन्म-दिन है. मैं इसे कभी नहीं भूलता क्योंकि इसी दिन मेरी पत्नी का भी जन्म-दिन होता है. आज नेरुदा को याद
अनुनाद पर चल रहे प्रेम कविताओं के सन्दर्भ में मैं एक साहसी और अनूठी ईरानी कवि सीमा यारी की एक कविता अनुनाद के पाठकों के
( कलात्मक सृजन को किस तरह उत्कृष्ट, सार्थक और प्रासंगिक बनाया जा सकता है ; इस सन्दर्भ में यह एक बेमिसाल कविता है. इसके अलावा
मेरा किया हुआ यह अनुवाद अशोक पांडे और उससे दोस्ती के उन विरल दिनों के लिए, जब उसने मुझे येहूदा आमीखाई जैसे कवि से परिचित
थॉमस मैक्ग्रा अमेरिकी साहित्य के सर्वाधिक उपेक्षित कवियों में हैं. साहित्यिक मठाधीशों ने रैडिकल वामपंथी विचारों वाले इस कवि को कभी वह अहमियत नहीं दी
(ईरान में दमनकारी धार्मिक कट्टरवादियों के खिलाफ़ आंदोलित जनसमूह) ईरान में उभरे जनआक्रोश और इसका दमन करने के तानाशाही रवैये को ध्यान में रखते हुए