अनुभव की प्रयोगशाला में आवाजाही का कवि : पवन करण -महेश कटारे
फेसबुक पर आज संयोगवश अग्रज कवि पवन करण की दीवाल पर प्रख्यात कथाकार महेश कटारे का यह चकित कर देने वाला समीक्षा लेख मिला। कटारे
फेसबुक पर आज संयोगवश अग्रज कवि पवन करण की दीवाल पर प्रख्यात कथाकार महेश कटारे का यह चकित कर देने वाला समीक्षा लेख मिला। कटारे
साथी कवि अशोक कुमार पांडेय ने अपने पहले संग्रह ‘लगभग अनामंत्रित’ के बाद कहन का रूप कुछ बदला है। उसकी कविता में वैचारिक बहस की
प्रेमचंद की याद में व्योमेश शुक्ल का यह लेख प्रतिलिपि से साभार १ लमही वतन है। दूसरी जगहें गाँव घर मुहल्ला गली शहर या जन्मस्थल होती
सुषमा नैथानी की कविताएं लम्बे अंतराल के बाद अनुनाद पर आ रही हैं। वे उन कवियों में हैं, जिन्हें अनुनाद उपलब्धि की तरह देखता रहा
कमल जीत चौधरी की कविताओं के प्रकाशन के बाद अनुनाद को जम्मू-कश्मीर से कई कवियों की कविताएं मेल द्वारा मिल रही हैं। सभी को एकसाथ
युवा कवि विमलेश त्रिपाठी की यह कविता अनुनाद पर लम्बी कविताओं के प्रसंगों का एक महत्वपूर्ण अंग बनने जा रही है। मैं विमलेश को शुक्रिया
कमलजीत चौधरी कमल जीत चौधरी मेरे लिए अग्निशेखर के बाद कविता में जम्मू की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण किन्तु अलहदा आवाज़ है। हिन्दी में सीमान्तों की
स्त्री संसार पुरुष कवियों की कविता में आता है तो अभिव्यक्ति में अपने साथ कई जोखिम लाता है, ऐसे ही जोखिमों का सफलता से सामना
स्थायी होती है नदियों की याददाश्त कितनी बारिश होगी हर कोई पूछ रहा है कुछ पता नहीं हर कोई बता रहा है बारिश तो बारिश