अनुनाद

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कविता की टिहरी डूब गई

इधर कुछ समय से उत्‍तराखंड में तथाकथित विकास के प्रबल पक्षधर बनकर सामने आए मेरे बहुत प्रिय वरिष्‍ठ कवि लीलाधर जगूड़ी के लिए सादर तस्‍वीर: मनोज भंडारी-अनिल कार्की

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टूटकर ही बनते हैं पहाड़ -भास्कर उप्रेती

भास्‍कर उप्रेती छह बरस पहले मि㨜ला एक युवा कवि-पत्रकार, जिससे समय के साथ मि㨜त्रता गाढ़ी होती गई। मैंने उसमें बहुत भावुक-संवेदनशील इंसान पाया। लेकिन उसकी

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हेमा दीक्षित की कविताएं

अपने लिए तुम्हारे घर की तिमंजिली खिडकी से कूदती है और रोज भाग जाती है छिली कोहनियों और फूटे घुटनों वाली औरत ढूंढती है नीम का

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संदीप रावत की कविताएं

मेरे प्रिय छात्र अनिल कार्की की वजह से मेरा ध्‍यान फेसबुक पर संदीप रावत की कविताओं की ओर गया। मैं उनके पिछले कुछ स्‍टेटस को

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वाया 80’ – मृत्‍युजंय की कविता

मृत्‍युजंय बहुत अलग-अलग शिल्‍पों में कविता सम्‍भव करने वाले अद्भुत युवा कवि हैं। वे भरपूर राजनीतिक हैं, उनकी कविता के उद्देश्‍य राजनीतिक हैं, जो दिनों

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कविता जो साथ रहती है 4: प्रभात की कविता : गिरिराज किराड़ू

विस्थापन और ‘आत्म’बोध की दूसरी कथा अपनों में नहीं रह पाने का गीत उन्होंने मुझे इतना सताया कि मैं उनकी दुनिया से रेंगता आया मैंने

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समय के बंजर में ज़मीन पर बारिश उगाता कवि : केशव तिवारी की कविता पर युवा आलोचक सुबोध शुक्‍ल

केशव तिवारी मेरे बहुत प्रिय कवि हैं, जिनकी कविता के महत्‍व पर बातचीत मुझे हमेशा हमारी आज की कविता के हित में बहुत ज़रूरी लगती

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आशुतोष दुबे की कविताएं

अनुनाद पर निरन्‍तर काम करते रहने का सुफल कभी-कभी यूं भी मिलता है जैसे मेरे प्रिय कविमित्र आशुतोष दुबे ने अपनी छह कविताएं अभी अचानक

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